- खबर हटके

खामोश हुए…बुलंद आवाज के प्रवक्ता उमेश शर्मा..

Spread the love

आनंद जैन इंदौर

जब भी पत्रकारों से मिलते तो दोनों हाथ जोड़कर कहते सभी बुद्धिजीवियों को मेरा प्रणाम…ऐसी मुलाकात के धनी, प्रबल,बुलंद आवाज,दबंग व्यक्ति के साथ कुशल नेता उमेश शर्मा नहीं रहे। यह बहुत दुखद खबर है। हार्ट अटैक से भाजपा के तेज तर्राट प्रदेश प्रवक्ता उमेश शर्मा का निधन हो गया। गुजरात चुनाव में ड्यूटी से लौटने के बाद आज सीने में दर्द की शिकायत हुई तो निजी अस्पताल में इलाज के लिए ले गए थे। माना जा रहा है कि उमेश शर्मा की बुलंद आवाज प्रदेश के साथ देश भर में प्रसिद्ध थी। उनकी आवाज का दबदबा हर सभा में देखने को मिलता था।जब पब्लिक सभा से जाने लगती तो उमेश शर्मा को माईक थमा दिया जाता था। गत दिनों की ही बात है बंगाली चौराहे के ओवर ब्रिज का शुभारंभ होना था।मुख्यमंत्री आने वाले थे।समय सात बजे का दिया गया था,लेकिन मामा नही पहुंचे।अच्छी खासी भीड़ एकत्रित हो गई थी। मामा के इंतजार में भीड़ जाने लगी। स्टेज के पास खड़े प्रवक्ता उमेश शर्मा यह सब देख रहे थे।उन्होंने स्टेज पर चढकर आवाज लगाई मेरे भाईयों और बहनों और भांजे और भांजियों अभी मामा आने वाले है। ज्यादा कार्यकमों के चलते शिवराज जी लेट हो गए है। इसके लिए मैं आप सभी के सामने आया हूं।आप लोग मुझे सुन लो रे…मामा की स्टाइल में बोले।नीचे ब़ैठे लोग जमकर हंसे। फिर उन्होंने अपनी बात शुरू की।जो पोन घंटे चली।बीच बीच में लोगोंं की चुटकी भी लेते रहे। लोग उनके भाषण के चलते बधे रहे।इतने में मुख्यमंत्री पहुंचे और कार्यक्रम भीड़ के साथ ठीक से हो गया।ऐसे कई नेतागीरी के आयोजन हमने भी देखे जिसमें जनता को देर तक रोके रखने का काम उमेश शर्मा बखुबी निभाते थे। उनकी बोलने की विशेष शैली व बुलंद आवाज के कारण उन्हें हर कोई जानता था । नेता से लेकर अधिकारी, अभिनेता से लेकर खिलाड़ी सभी उनकी आवाज से मंत्रमुग्ध थे। तर्क और वितर्क के ज्ञाता थे।हर घटना मुह जवानी याद थी। कब आपातकाल लगा,कब जेल भरों आंदोलन हुआ। सब मालुम था। शब्दों पर गहरी पकड़ थी।जुबां पर मां सरस्वती विराजमान थी।आज वह खामोश हो गई। उनके निधन पर प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान सहित कई नेताओं ने दुख जताया है। अपनी बेबाक व्यक्तित्व के कारण भी उमेश शर्मा जाने जाते थे। कई बार अपनी पार्टी के विरुद्ध भी खड़ा होना उनकी आदत थी। वह गलत को गलत बताते थे। फिर वह उनकी पार्टी वाले ही क्यो न हो। उनका विरोध दर्ज कराने तरीका अनोखा था। हमेशा सबकी बातों को लेकर सामने आते थे। किसी भी मंच पर यदि उमेश शर्मा खड़े हो जाते थे तो वहां पर भीड़ की कोई कमी नहीं होती थी। तालीयाँ अलग से बजती थी।सभी उनके आवाज के सुनने के लिए लालायित हो उठते थे।भाजपा ने दमदार आवाज के दमदार वक्ता के रूप में उमेश शर्मा को खो दिया है।
नमन…