- खबर हटके

अपना आत्म सम्मान आप खुद जाग्रत करे

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????निराशा से आशा की और????
एक बढ़ता कदम ????????

*????Sunday Special ????*

*????अपना आत्म सम्मान आप*
*खुद जाग्रत करे*
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दोस्तों,

????हमारे जीवन के साथ जो चीज अनवरत चलते रहती हैं, वह हैं समय। हमारा समय और जीवन एक साथ प्रति क्षण नष्ट हो रहे हैं। हमारे जीवन के साथ जिस चीज का सम्मान होना चाहिये, वह केवल समय हैं, इसलिये हमें उपलब्ध समय का सदुपयोग करना चाहिये। समय के महत्त्व को इस तथ्य से समझा जा सकता हैं की समय को कोई भी न तो पैदा कर सकता हैं और न ही इसे खरीद सकता हैं।

????यदि हम रात को छोड़ दे तो दिन में केवल हमारे पास 12 घंटे होते हैं, अर्थात 720 मिनट्स, या केवल 43200 सेकंड्स, यह वही समय होता हैं, जिसमे हमें सभी दैनिक क्रियाये करते हुए, हमें स्वयं के विकास के लिए भी समय निकलना पड़ता हैं। समय का एक एक क्षण कीमती हैं। यदि कोई व्यक्ति दुर्घटना में बाल बाल बचा हैं, तो वह उस समय को उसके जीवन को सर्वाधिक महत्वपूर्ण समय बता देगा और सदेव उस समय के प्रति सम्मान रखेगा जिसमे उसका अमुल्य जीवन बचा हैं।

????वर्तमान में हमारे जीवन की सबसे प्रमख समस्या समय की कमी हैं। समय की कमी का यह बहाना लगभग हम सभी लोगो के सामने रोज ही आता हैं। हम सभी इस बात से भली भाती परिचित हैं की समय को हम बना नहीं सकते हैं न ही किसी ले सकते हैं, केवल और केवल यदि हमारे पास कोई शक्ति हैं, जो इसे नियंत्रित कर सकती हैं वह केवल समय का उचित प्रबंधन हैं।

????आप जिस दिन अपनी कीमत जान जाओगे अपने आप को बहुमूल्य पाओगे। जानते हो की हमारी सबसे बढ़ी कमजोरी ये हैं की हम खुद को ही अपमानित करते हैं । हम ये सोचते हैं की वो हमसे आगे निकल गया, वो कितना सफल हो गया, वो कितना अमीर हैं एक मायने मे ये जलन नही बल्कि आपका अपना अपमान हैं । आप ये देखिये की आप उस जगह क्यों नही पहुच सकते । आपके प्रयास गलत हैं या आप गलत लोगो से, नकारात्मक लोगो से , निराश लोगो से घिरे हो । जिस दिन निकलोगे ऊंचाई
आपके सामने ही हैं ।

????अब भी नही समझे तो मै नवीन सांखला आपको इस छोटी सी कहानी से अपनी बात समझाता हूँ ।

????एक भिखारी किसी स्टेशन पर पेँसिलोँ से भरा कटोरा लेकर बैठा हुआ था। एक युवा व्यवसायी उधर से गुजरा और उसनेँ कटोरे मेँ 50 रूपये डाल दिया, लेकिन उसनेँ कोई पेँसिल नहीँ ली। उसके बाद वह ट्रेन मेँ बैठ गया। डिब्बे का दरवाजा बंद होने ही वाला था कि अधिकारी एकाएक ट्रेन से उतर कर भिखारी के पास लौटा और कुछ पेँसिल उठा कर बोला, “मैँ कुछ पेँसिल लूँगा। इन पेँसिलोँ की कीमत है, आखिरकार तुम एक व्यापारी हो और मैँ भी।” उसके बाद वह युवा तेजी से ट्रेन मेँ चढ़ गया।

????कुछ वर्षों बाद, वह व्यवसायी एक पार्टी मेँ गया। वह भिखारी भी वहाँ मौजूद था। भिखारी नेँ उस व्यवसायी को देखते ही पहचान लिया, वह उसके पास जाकर बोला-” आप शायद मुझे नहीँ पहचान रहे है, लेकिन मैँ आपको पहचानता हूँ।”

????उसके बाद उसनेँ उसके साथ घटी उस घटना का जिक्र किया। व्यवसायी नेँ कहा-” तुम्हारे याद दिलानेँ पर मुझे याद आ रहा है कि तुम भीख मांग रहे थे। लेकिन तुम यहाँ सूट और टाई मेँ क्या कर रहे हो?”

????भिखारी नेँ जवाब दिया, ” आपको शायद मालूम नहीँ है कि आपनेँ मेरे लिए उस दिन क्या किया। मुझे पर दया करने की बजाय मेरे साथ सम्मान के साथ पेश आये। आपनेँ कटोरे से पेँसिल उठाकर कहा, ‘इनकी कीमत है, आखिरकार तुम भी एक व्यापारी हो और मैँ भी।’

????आपके जानेँ के बाद मैँने बहूत सोचा, मैँ यहाँ क्या कर रहा हूँ? मैँ भीख क्योँ माँग रहा हूँ? मैनेँ अपनीँ जिँदगी को सँवारनेँ के लिये कुछ अच्छा काम करनेँ का फैसला लिया। मैनेँ अपना थैला उठाया और घूम-घूम कर पेंसिल बेचने लगा । फिर धीरे -धीरे मेरा व्यापार बढ़ता गया , मैं कॉपी – किताब एवं अन्य चीजें भी बेचने लगा और आज पूरे शहर में मैं इन चीजों का सबसे बड़ा थोक विक्रेता हूँ।

????मुझे मेरा सम्मान लौटानेँ के लिये मैँ आपका तहेदिल से धन्यवाद देता हूँ क्योँकि उस घटना नेँ आज मेरा जीवन ही बदल दिया ।”

????दोस्तों, आप अपनेँ बारे मेँ क्या सोचते है? खुद के लिये आप क्या राय स्वयँ पर जाहिर करते हैँ? क्या आप अपनेँ आपको ठीक तरह से समझ पाते हैँ? इन सारी चीजोँ को ही हम indirect रूप से आत्मसम्मान कहते हैँ। दुसरे लोग हमारे बारे मेँ क्या सोचते हैँ ये बाते उतनी मायनेँ नहीँ रखती या कहेँ तो कुछ भी मायनेँ नहीँ रखती लेकिन आप अपनेँ बारे मेँ क्या राय जाहिर करते हैँ, क्या सोचते हैँ ये बात बहूत ही ज्यादा मायनेँ रखती है। लेकिन एक बात तय है कि हम अपनेँ बारे मेँ जो भी सोँचते हैँ, उसका एहसास जानेँ अनजानेँ मेँ दुसरोँ को भी करा ही देते हैँ और इसमेँ कोई भी शक नहीँ कि इसी कारण की वजह से दूसरे लोग भी हमारे साथ उसी ढंग से पेश आते हैँ।

????याद रखेँ कि आत्म-सम्मान की वजह से ही हमारे अंदर प्रेरणा पैदा होती है या कहेँ तो हम आत्मप्रेरित होते हैँ। इसलिए आवश्यक है कि हम अपनेँ बारे मेँ एक श्रेष्ठ राय बनाएं और आत्मसम्मान से पूर्ण जीवन जीएं।

????अब अगर इस लेख से थोड़ी सी भी प्रेरणा मिलती हैं तो सम्मान सहित मुझे एक धन्यवाद तो बोल ही सकते हो ।

????दोस्तों, जिंदगी एक बार ही मिलती हैं गर्व से जीओ । सम्मान करो और सम्मान से जीओ । ये एक कला हैं जो हर किसी को नही आती और जब आ जाती हैं तो जीवन को बदल जाती हैं।

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*????????????नवीन सांखला ????????????*