राजकुमार अग्रवाल
नशे से दूर रहे अभियान को ऐसे पलीता लगा रहे हैं फुटकर और थोक व्यापार
उज्जैन/ मध्य प्रदेश सरकार के मुखिया डॉ मोहन यादव के द्वारा पहले धार्मिक नगरियों को नशे से मुक्त करने के लिए कदम उठाया, सरकार के इस कदम से नशे के आदि लोगों को नशे की जुगाड़ हेतु प्रयास करना पड़ रहे हैं। अब मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा नशे से दूरी अभियान चलाया गया है जिसमें पुलिस प्रशासन के द्वारा अवैध रूप से नशा बेचने वाले सौदागर की धरपकड़ की जाकर जप्ति अभियान चलाया जा रहा है वहीं दूसरी ओर नशे से प्रभावित क्षेत्र तथा स्कूलों में पुलिस की टीम पहुंचकर नशे से दूरी पर व्याख्यान एवं शॉर्ट फिल्म के द्वारा समझाइए देने का प्रयास किया जा रहा हैं।
धार्मिक नगरियों को शराब से मुक्ति दिलाने के लिए मध्य प्रदेश शासन के द्वारा जो कदम उठाए गए इसकी जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। लेकिन इसके साथ ही अवैध रूप से शहर में शराब की बिक्री का गोरख धंधा पनपने लगा है । पहले कुछ स्थानों पर अवैध रूप से शराब की बिक्री हो रही थी अब ऐसे कई अनेक स्थान है जहां से शराब की बिक्री खुलेआम हो रही है। इस और पुलिस प्रशासन को ध्यान देने की सख्त आवश्यकता है।
पान और किराना दुकान से संचालित हो रहे हैं विभिन्न तरह के नशे का व्यापार
शासन की मंशा है की प्रदेश को नशा मुक्त किया जाए और इस और प्रदेश के मुखिया एक के बाद एक कदम उठा रहे हैं। लेकिन शासन की मंशा को पलीता लगाने में पान की दुकान और किराना व्यापारी सक्रिय नजर आ रहे हैं। शराब के अलावा ऐसे कई तरह के नशे हैं जो इन दुकानों से खुलेआम बिक्री में है। हालांकि पुलिस प्रशासन के द्वारा नशा मुक्ति पखवाड़े में ऐसे सभी व्यापारियों को हिदायत देने के साथ उनकी दुकानों पर बिक रहे नशीले पदार्थ बरामद भी किये जा रहे हैं। लेकिन व्यापारी पुलिस की कार्रवाई के बावजूद नशीले पदार्थ बखूबी बेच रहे हैं बल्कि पुलिस की सख्ती पर अब मनमाने दाम पर नशीले पदार्थ बेचे जा रहे हैं।
गोगो , सनन तथा लाल काला घोड़ा चलन में
चाहे वह पान की दुकान हो या फिर किराने की दुकान सभी जगह गोगो नामक नशे में उपयोग लाई जाने वाली चिलम जिसकी वास्तविक कीमत ₹5से6 है। इन दिनों पुलिस की शक्ति की वजह से ₹15 खेरची भाव में बेची जा रही है। इसी तरह नशे की स्ट्रिप ₹10 की तीन का रेपर खुलेआम बिक्री में है। इसी तरह सनन मनुका की गोली वर्षों से पान की दुकान और किराने की दुकान पर बिक्री में है किसी समय ₹1 में दो गोली दी जाती थी आज ₹3 तक बिक्री में है इस आयुर्वेदिक नशा बता कर खुली बिक्री में चलाया जा रहा है। इसी तरह से लाल और काला घोड़ा नामक चूर्ण भी नशीला होकर लोगों को नशे का आदि बनाए हुए हैं। शहर में शायद ही ऐसी कोई पान की दुकान या किराने की दुकान होगी जिस पर इस तरह की नशीले पदार्थ खुलेआम बिक्री में ना हो। जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन को शासन की नशा मुक्ति या नशे से दूरी की मंशा को पूर्ण करने के लिए इन दुकानों से नशीला पदार्थ बेचने पर रोक लगाना होगी तब कहीं जाकर अभियान सफल हो पाएगा।