- ज्योतिष, धार्मिक

बुरी नजर, नकारात्मक ऊर्जा और वास्तुदोष उपायों के लिए महत्वपूर्ण पर्व- नरक चतुर्दशी

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*????ज्योतिष संस्कार की भेट????

????किसी भी सिद्धि प्राप्ति या मनोकामना पूर्ति के लिए चार रात्रियां सर्वश्रेष्ठ हैं पहली है
कालरात्रि (नरक चतुर्दशी
दूसरी है अहोरात्रि (शिवरात्रि),
तीसरी है दारुणरात्रि (होली) ????

????चौथी है मोहरात्रि अर्थात जन्माष्टमी।मैं नवीन सांखला आपको बताते हैं कि इन दिनों में किए गए तंत्र उपाय जरुर सफल होते हैं
????दस महाविद्याओं में मां काली की साधना को सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली मानते हैं। साधकों को अष्टसिद्धि प्राप्त होती है।
नरक चतुर्दशी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को कहा जाता है। इसके अतिरिक्त इस चतुर्दशी को ‘नरक चौदस’, ‘रूप चौदस’, ‘रूप चतुर्दशी’, ‘नर्क चतुर्दशी’ या ‘नरका पूजा’ के नाम से भी जाना जाता है। कुछ जगहों पर यह पर्व छोटी दीपावली के रूप में तथा कई स्थानों पर हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है।
????हिन्दू मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विधान है। इस दिन कुबेर की भी पूजा की जाती है। इस दिन घर के देवताओं और पुरखों की पूजा भी की जाती है।

????दीपावली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली नरक चतुर्दशी के दिन संध्या के पश्चात दीपक प्रज्जवलित किए जाते हैं। इस चतुर्दशी का पूजन कर अकाल मृत्यु से मुक्ति तथा स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए यमराज जी की पूजा व उपासना की जाती है।
अन्य प्रसंगानुसार भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक माह में कृष्ण चतुर्दशी के दिन नरकासुर का वध करके देवताओं व ऋषियोंको उसके आतंक से मुक्ति दिलवाई थी।

????इस दिन मान्यता जुड़ी हुई है जिसके अनुसार इस दिन उबटन करने से रूप व सौंदर्य में वृद्ध‍ि होती है।

????दस महाविद्या काली पूजा का ज्योतिषीय महत्व

माँ काली, विनाश और उत्थान के प्रतीक के रूप में जानी जाती है। इनका आशीर्वाद प्राप्त होने पर निश्चित रूप से सभी नकारात्मक ऊर्जा से बचाव होता है आैर दुश्मनों पर विजय मिलती है।
जो तंत्र-मंत्र के क्षेत्र से जुड़े हैं या एेसे गूढ़ विषयों में विशेष रूचि रखते हैं।

ज्योतिष में ????– राहु और शनि को जिंदगी के दुष्ट क्षेत्रों का कारक माना जाता है। माँ काली की पूजा को नकारात्मकता का प्रभाव दूर करने वाला माना जाता है, जो कि राहु और शनि के दूषित प्रभाव का परिणाम होती है। जो लोग राहु और शनि के कोप का सामना कर रहे हो, उन्हें इस दिन विशेष रूप से देवी को खुश करने के लिए इनकी विधिवत पूजा करना चाहिए।
काली चौदस पूजा का बहुत महत्व है। देवी माँ कई प्रकार से कुंडली और वास्तु के दोषो से बचाव करती है जैसे ,
– लगातार परिवार में बीमारियां , गंभीर बीमारियां
– बुरी नज़र और नकारात्मक ऊर्जा का दुष्प्रभाव
– कर्ज , कमजोर आर्थिक स्थिति
– कुंडली में शनि और राहु के दुष्प्रभाव
विशेष उपाय ????

मे नवीन सांखला आपको बताते हैं कि
नरक चतुर्दशी को संध्या के समय घर की पश्चिमी दिशा में खुले स्थान पर या छत के पश्चिम में 14 दीपक पूर्वजो के नाम पर जलाएं , उनके शुभ आशीर्वाद से सम्रद्धि में आशातीत वृद्धि होती है ।
इस दिन मां के लिए जलाई गई जोत वाले दीपक से काजल बनाया जाता है. इस काजल को परिवार के सभी सदस्यों को लगाया जाता है. माना जाता है, इससे घर में मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. और बुरी नज़र और नकारात्मक ऊर्जा से स बचाव होता है |
इस दिन सुंदर कांड का पाठ करते हुए अष्टादश मंत्र का जप भी करना चाहिए।
अष्टादश मंत्र -????

|| ॐ नमो भगवते आन्जनेयाय महाबलाय स्वाहा ||

ज्योतिष की नजर में कार्तिक कृष्ण चतुदर्शी का महत्व दीपावली के समान ही है क्योंकि इस दिन किये गए ज्योतिषीय उपायों से पुरे वर्ष भर अच्छे परिणाम मिलते है जो वर्षभर लाभदायी होते हैं। कई तंत्र-मंत्रों को इसी दिन सिद्ध किया जाता है

????????नवीन सांखला ????????

????9827254555????
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