- धार्मिक

सावन माह पर विशेष: शिवजी को प्रसन्न करने के लिए महालक्ष्मी जी ने बेल वृक्ष का रूप धारण किया

Spread the love

बिल्वपत्र का महत्व

महादेव को प्रसन्न करने के लिए स्वयं महालक्ष्मी ने बेलवृक्ष का रूप लिया था और शिवलिंग को अपनी छाया प्रदान करती थीं. खुश होकर शिवजी ने महालक्ष्मी से कहा कि बेलवृक्ष की जड़ों में मेरा निवास होगा और बेलपत्र मुझे अतिप्रिय होगा.

कालकूट विष पीने के बाद शिवजी के मस्तिष्क को शांत करने के लिए देवों ने उन्हें जल से नहलाया. उसके बाद बेलपत्र सिर पर रखे. बेलपत्र की तासीर ठंढ़ी होती है इसलिए शिवजी को जल के साथ बेलपत्र अतिप्रिय है.

बिल्ववृक्ष का दर्शन, स्पर्श व प्रणाम भी पुण्यकारी है. शिवजी को अखंडित बेलपत्र चढ़ाने से शिवलोक प्राप्त होता है. बेलपत्र के लिए कुछ सावधानियां कही गई हैं. चौथ, अमावस्या, अष्टमी, नवमी, चौदस, संक्रांति व सोमवार को बिल्वपत्र तोडना मना है.

बेलपत्र उल्टा अर्पित करें यानी पत्ते का चिकना भाग शिवलिंग को स्पर्श करे. पत्र में चक्र या वज्र नहीं होना चाहिए. कीड़ों द्वारा बनाए सफेद चिन्ह को चक्र व बेलपत्र के डंठल के मोटे भाग को वज्र कहते हैं. 3 से 11 पत्ते तक के बेलपत्र होते हैं. जितने अधिक पत्रों के हों उतना उत्तम.बेलपत्र चढ़ाते समय इस मंत्र का उच्चारण करें-

त्रिद्लं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्।
त्रिजन्मं पापसंहारम् एक बिल्व शिव अर्पिन।।

यदि मंत्र याद न हो तो ऊं नमः शिवाय जपें.बेलपत्र न मिल पाए तो उसके स्थान पर चांदी का बेलपत्र चढ़ाया जा सकता है जिसे रोज शुद्धजल से धोकर शिवलिंग पर पुनः अर्पण कर सकते हैं. बेलवृक्ष की जड़ में शिव का वास है इसलिए जड़ में गंगाजल के अर्पण का बड़ा महत्व है.
………
! मित्रों पुराणों में ज्योतिष से सम्बन्धित बहुत से उपाय दिये गये है जिसको आप करके आप अपने सभी कष्टो से निजात पा सकते है शिव महापुराण में दिये गये ज्योतिष के उपाय की आज बात करते है ये हैं शिवपुराण के छोटे-छोटे उपाय, कर सकते हैं भगवान शिव बहुत भोले हैं, यदि कोई भक्त सच्ची श्रद्धा से उन्हें सिर्फ एक लोटा पानी भी अर्पित करे तो भी वे प्रसन्न जाते हैं है इसीलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है मित्रों
1 भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है
2. तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है
3. जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है
4. गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है
यह सभी अन्न भगवान को अर्पण करने के बाद गरीबों में बांट देना चाहिए
5 बुखार होने पर भगवान शिव को जल चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है। सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जल द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है।
6. तेज दिमाग के लिए शक्कर मिला दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।
7शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है।
8 शिव को गंगा जल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।
9शहद से भगवान शिव का अभिषेक करने से टीबी रोग में आराम मिलता है।
10 यदि शारीरिक रूप से कमजोर कोई व्यक्ति भगवान शिव का अभिषेक गाय के शुद्ध घी से करे तो उसकी कमजोरी दूर सकती है हो
11 लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
12. चमेली के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मिलता है।
13. अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने पर मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है।
14. शमी वृक्ष के पत्तों से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है।
15. बेला के फूल से पूजन करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है।
16. जूही के फूल से भगवान शिव का पूजन करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।
17. कनेर के फूलों से भगवान शिव का पूजन करने से नए वस्त्र मिलते हैं।
18. हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।
19. धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशन करता है लाल डंठलवाला धतूरा शिव पूजन में शुभ माना गया है।
20 दूर्वा से भगवान शिव का पूजन करने पर आयु बढ़ती है
21. सावन में रोज 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
22. अगर आपके घर में किसी भी प्रकार की परेशानी हो तो सावन में रोज सुबह घर में गोमूत्र का छिड़काव करें तथा गुग्गुल का धूप दें।
23. यदि आपके विवाह में अड़चन आ रही है तो सावन में रोज शिवलिंग पर केसर मिला हुआ दूध चढ़ाएं। इससे जल्दी ही आपके विवाह के योग बन सकते हैं।
24. सावन में रोज नंदी (बैल) को हरा चारा खिलाएं। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आएगी और मन प्रसन्न रहेगा।
25. सावन में गरीबों को भोजन कराएं, इससे आपके घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी तथा पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी।
26. सावन में रोज सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निपट कर समीप स्थित किसी शिव मंदिर में जाएं और भगवान शिव का जल से अभिषेक करें और उन्हें काले तिल अर्पण करें। इसके बाद मंदिर में कुछ देर बैठकर मन ही मन में ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। इससे मन को शांति मिलेगी।
27. सावन में किसी नदी या तालाब जाकर आटे की गोलियां मछलियों को खिलाएं। जब तक यह काम करें मन ही मन में भगवान शिव का ध्यान करते रहें। यह धन प्राप्ति का बहुत ही सरल उपाय है मित्रों जरूर करे
………..

! भगवान शिव के जीवन में ज्ञान का सागर छिपा है. शिवजी विवाह के लिए बैल पर सवार होकर गए. पंचामृत उनका प्रिय प्रसाद है.इन दोनों के महत्व को समझेंगे.

आमजन विवाह के लिए घोड़ी पर जाते हैं. घोड़ी सर्वाधिक कामुक जीव है. उसपर सवार होकर जाने में संदेश है कि दूल्हा काम के वश में होने के लिए नहीं बल्कि घोड़ी रूपी कामवासना को अपने वश में करने के लिए विवाह बंधन में बंधने जा रहा है.

शिवजी ने काम को भस्म किया था. काम उनके जीवन में महत्वहीन है. इसलिए वह विवाह के लिए धर्म रूपी बैल पर सवार होकर गए. इससे शिक्षा मिलती है कि विवाह का पवित्र बंधन नवदंपती को धर्म के मार्ग पर अग्रसर करता है.

सावन में कामदेव की सेना वर्षा की बौछारें व सुगंधित पवन कामवासना जागृत करती है. सावन में शिव की पूजा का विशेष महत्व इसलिए हो जाता हैं क्योंकि शिव काम की प्रबलता का नाश करके पतन से बचाते हैं.

शिवजी को चढ़ने वाले पंचामृत में भी एक गूढ़ संदेश है. पंचामृत दूध, दही, शहद व घी को गंगाजल में मिलाकर बनता है.

दूधः जब तक बछड़ा पास न हो गाय दूध नहीं देती. बछड़ा मर जाए तो उसका प्रारूप खड़ा किए बिना दूध नहीं देती. दूध मोह का प्रतीक है.

शहदः मधुमक्खी कण-कण भरने के लिए शहद संग्रह करती है. इसे लोभ का प्रतीक माना गया है.

दहीः इसका तासीर गर्म होता है.क्रोध का प्रतीक है.

घीः यह समृद्धि के साथ आने वाला है और अहंकार का प्रतीक है.

गंगाजलः भगीरथ के पूर्वजों ने पितरों की मुक्ति के लिए शिवजी की उपासना की और गंगाजल को पृथ्वी पर लेकर आए. यह मुक्ति का प्रतीक है. गंगाजल मोह, लोभ, क्रोध और अहंकार को समेटकर शांत करता है.
……………..

! ????आजकल प्रतिदिन संदेश आ रहे हैं कि महादेव को दूध की कुछ बूंदें चढाकर शेष निर्धन बच्चों को दे दिया जाए। सुनने में बहुत अच्छा लगता है लेकिन हर हिन्दू त्योहार पर ऐसे संदेश पढ़कर थोड़ा दुख होता है। दीवाली पर पटाखे ना चलाएं, होली में रंग और गुलाल ना खरीदें, सावन में दूध ना चढ़ाएं, उस पैसे से गरीबों की मदद करें। लेकिन त्योहारों के पैसे से ही क्यों? ये एक साजिश है हमें अपने रीति-रिवाजों से विमुख करने की।

????हम सब प्रतिदिन दूध पीते हैं दूध से बनी चाय का हम अत्यधिक व अनावश्यक सेवन भी करते हैं तब तो हमें कभी ये ख्याल नहीं आया कि लाखों गरीब बच्चे दूध के बिना जी रहे हैं। अगर दान करना ही है तो अपने हिस्से के दूध का दान करिए, रोजाना पी जाने वाली प्रति व्यक्ति 4 से 5 कप चाय का त्याग करके बचे दूध का दान करिये और वर्ष भर करिए। कौन मना कर रहा है। शंकर जी के हिस्से का दूध ही क्यों दान करना?

????आप अपने व्यसन का दान कीजिये दिन भर में जो आप सिगरेट, पान-मसाला, शराब, मांस अथवा किसी और क्रिया में जो पैसे खर्च करते हैं उसको बंद कर के गरीब को दान कीजिये | इससे आपको दान के लाभ के साथ साथ स्वास्थ्य का भी लाभ होगा।

????महादेव ने जगत कल्याण हेतु विषपान किया था इसलिए उनका अभिषेक दूध से किया जाता है। जिन महानुभावों के मन में अतिशय दया उत्पन्न हो रही है उनसे मेरा अनुरोध है कि एक महीना ही क्यों, वर्ष भर गरीब बच्चों को दूध का दान दें। घर में जितना भी दूध आता हो उसमें से ज्यादा नहीं सिर्फ आधा लीटर ही किसी निर्धन परिवार को दें। महादेव को जो 50 ग्राम दूध चढ़ाते हैं वो उन्हें ही चढ़ाएं। !!ॐ नम: शिवाय !!

????शिवलिंग की वैज्ञानिकता ….

????भारत का रेडियोएक्टिविटी मैप उठा लें, तब हैरान हो जायेगें ! भारत सरकार के नुक्लियर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है।.

????शिवलिंग और कुछ नहीं बल्कि न्यूक्लियर रिएक्टर्स ही हैं, तभी तो उन पर जल चढ़ाया जाता है ताकि वो शांत रहे.

????महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे कि बेल पत्र, आक, आकमद, धतूरा, गुड़हल, आदि सभी न्यूक्लिअर एनर्जी सोखने वाले है।

???? क्यूंकि शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है इसीलिए तो जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता।

???? भाभा एटॉमिक रिएक्टर का डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही है।.

????शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है।

???? तभी तो हमारे पूर्वज हम लोगों से कहते थे कि महादेव शिवशंकर अगर नाराज हो जाएंगे तो प्रलय आ जाएगी।

???? ध्यान दें, कि हमारी परम्पराओं के पीछे कितना गहन विज्ञान छिपा हुआ है।

???? जिस संस्कृति की कोख से हमने जन्म लिया है, वो तो चिर सनातन है।विज्ञान को परम्पराओं का जामा इसलिए पहनाया गया है ताकि वो प्रचलन बन जाए और हम भारतवासी सदा वैज्ञानिक जीवन जीते रहें।..
अपना व्यवहार बदलो हमारे धर्म को बदलने का प्रयास मत करो.

धर्म है तो संस्कृति है जीवन है।
वर्ना निर्जीव तो मानवता हो ही रही है।। ऊँ नम: शिवाय
साभार:- श्री महालक्ष्मी सेवा संस्थान उज्जैन