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उज्जैन नगर पालिक निगम में ब्राह्मण नेताओं के वर्चस्व की जंग में उलझा हुआ है सभापति का पद

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तोप मांग कर तमंचा लेने की जुगत भिड़ा रहे हैं पार्षद गण

✍️राजकुमार अग्रवाल✍️

उज्जैन/ उज्जैन नगर पालिक निगम मैं 6 अगस्त को पार्षदों का शपथ विधि समारोह आयोजित किया गया है इसी के साथ सभापति के पद का निर्वाचन भी होना है। वैसे अपील समिति का गठन भी इसी कार्यक्रम के दौरान किया जाएगा। उज्जैन नगर पालिक निगम में इस बार भाजपा के महापौर मुकेश टटवाल के साथ से 37 पार्षद निर्वाचित हुए हैं जिससे भाजपा का पड़ला भारी है। किंतु गुटबाजी और पार्षद प्रत्याशियों के बीच सामंजस्य की कमी के चलते सभापति का पद ब्राह्मण पार्षदों के बीच उलझा हुआ नजर आ रहा है। कहीं इन नेताओं की आपसी खींचतान के परिणाम स्वरूप ब्राह्मण समाज को मिलने वाला सभापति का पद किसी अन्य वर्ग के खेमे में ना चला जाए।
यू देखा जाए तो सभापति पद के सशक्त दावेदार के रूप में पूर्व झोन अध्यक्ष रह चुके पत्रकार और एडवोकेट शिवेंद्र तिवारी का नाम भाजपा खेमे में सुर्खियों में बना हुआ है। भाजपा के 37 पार्षदों में से अधिकांश पार्षदों का समर्थन भी शिवेंद्र तिवारी के पक्ष में है। श्री तिवारी इस ग्रुप में तारीख को में सक्षम है उन्हें अनुभव का लाभ मिल सकता है।
वही मंत्री पूर्व मंत्री सांसद और कौर समिति के अलावा भाजपा संगठन के पदाधिकारी पट्ठा वाद की राजनीति के चलते अपने अपने समर्थकों को तैयारी करवा रहे हैं। प्रदेश भाजपा संगठन और मुख्यमंत्री श्री चौहान के द्वारा सभापति के पद पर ब्राह्मण की ताजपोशी के संकेत दिए जाने के बाद भी गुटबाजी चरम पर देखने को मिल रही है। ब्राह्मण समाज से ही रामेश्वर दुबे भी दावेदार है दो बार पार्षद निर्वाचित हो चुके हैं एक बार पार्टी के बैनर तले और इसके पहले निर्दलीय चुनाव जीता है। श्री दुबे भाजपा प्रदेश के मुखिया श्री शर्मा से जुड़े हुए हैं जिसकी वजह से वह भी सभापति की दावेदारी रखे हुए हैं।
पार्षद प्रकाश शर्मा भी सभापति के दावेदार है। पूर्व में महापौर परिषद के सदस्य रह चुके श्री शर्मा को सीधे-सीधे जगदीश अग्रवाल भाजपा नेता का वरदहस्त प्राप्त है।
ऐसे में ब्राह्मण प्रत्याशियों के बीच सभापति पद को लेकर खींचतान बनी हुई है शहर में सक्रिय राजनीति करने वाले नेता अपने अपने रसूख को कायम करने के लिए गोटिया फिट करने में लगे हुए हैं अभी तक किसी एक नाम पर कोई सहमति नजर नहीं आ रही है। वैसे 6 बार से पार्षद श्रीमती कलावती यादव सशक्त दावेदार है किंतु उनके भाई डॉ मोहन यादव कैबिनेट में मंत्री हैं इसलिए एक परिवार में दो महत्वपूर्ण पद होने पर कार्यकर्ताओं में बिखराव की स्थिति बन सकती है। वहीं दूसरी ओर श्रीमती यादव पिछड़ा वर्ग से आती है और उज्जैन नगर पालिक निगम में विगत 15 वर्षों से सभापति के पद पर पिछड़ा वर्ग का कब्जा रहा है। वही पिछड़ा वर्ग से सतनारायण चौहान भी अपनी दावेदारी रख चुके हैं। दूसरी बार पार्षद निर्वाचित हुए गब्बर भाटी भी दमदारी दिखा रहे हैं। यूं तो भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के परिवार से जुड़ी दुर्गा शक्ति सिंह चौधरी भी सभापति के लिए दमखम के साथ मैदान में है।
कुल मिलाकर भाजपा में सभापति के पद को लेकर खींचतान का माहौल बना हुआ है। जबकि भाजपा के 37 ही पार्षद अच्छे पदों पर सुशोभित हो सकते हैं। सभापति के पद के अलावा 5 झोन अध्यक्ष भी बनना है वही अपील समिति महापौर परिषद के अलावा अन्य समितियां और पक्ष का नेता जैसे महत्वपूर्ण पद भी है जिन पर सभी गुटों को महत्त्व मिल सकता है।