- ज्योतिष, धार्मिक

जन्मकुंडली के आधार पर चक्रो के संतुलन द्वारा रोगो का इलाज

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????ज्योतिष संस्कार प्रस्तुति

????नई और वैज्ञानिक उपचार विधियों के इस युग में पारंपरिक और वैकल्पिक चिकित्सा-पद्धतियां भी तीव्र गति से लोकप्रिय हो रही हैं।

????भारतीय ज्योतिष के अनुसार मै नवीन सांखला बताते हैं कि शरीर में सात चक्र होते हैं, जो कि पूरे शरीर की शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। ये चक्रशरीर में नीचे से ऊपर क्रमशः स्थित होते हैं।

????हमारे शरीर के सात चक्रों मूलाधार-चक्र, स्वाधिष्ठान-चक्र, मणिपूरक-चक्र, अनाहत-चक्र, विशुद्ध-चक्र, आज्ञा-चक्र और सहस्त्रार-चक्र के रूप में में विद्यमान हैं |
सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोग किसी न किसी चक्र से जुड़े होते हैं। यह चक्र जितने बैलेंस, अलाइन और एलाइन होगें, हम उतने ही शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ और निरोगी रहेगें।

????इनका प्रनिधित्व सौर-मंडल के सूर्य, चंद्र, मंगल आदि ग्रह करते हैं ।इन चक्रों के स्वामी सभी ग्रह है, सात चक्र और सात ग्रह, राहु-केतु छाया ग्रह है ।
चक्रो का ज्योतिषीय ग्रहो से गहरा सम्बन्ध है. हर एक चक्र पर किसी न किस ग्रह के स्वामित्व है | जो ग्रह या राशि पीड़ित हो तो जन्मकुंडली में राशि जिस भाव में हो उस भाव में शरीर का जो भी अंग आता है | इस चक्र के माध्यम से रोग उत्पन्न होते हैं | मैं नवीन सांखला बताते हैं कि सभी ग्रहों या राशियों को इसी माध्यम से देखना चाहिए

1- *????प्रथम मूलाधार चक्र*-
यह चक्र मानव शरीर में गुदा के पास होता है.और शरीर का यह अंग ही पूरे शरीर को संभालता है .इस चक्र का स्वामी शनि और शनि की दोनों राशियाँ मकर और कुम्भ होती हैं.|
यह चक्र शरीर में भौतिक जीवन शक्ति का स्थान है जो जीवन के लिए प्रेरित करता है।

2- *????स्वाधिष्ठान चक्र*-
यह चक्र लिंग के पास होता है.इस चक्र का स्वामी ब्रहस्पति और धनु और मीन राशि होती है.बृहस्पति संतान कारक ग्रह होता है.इसलिए संतान की उत्पत्ति में इस चक्र की विशेष भूमिका रहती है.यदि बृहस्पति या धनु मीन राशि पीड़ित होती है तो इस चक्र सम्बन्धी और सन्तान सम्बन्धी समस्या होती है.पीड़ित बृहस्पति या इसकी राशियाँ जिस भाव से सम्बन्ध बनती है उस भाव के अंग में समस्या होती है |

3- *????मणिपूरक चक्र*-
यह चक्र नाभि के पास होता है.इस चक्र का स्वामी मंगल व उसकी राशि मेष और वृश्चिक होती है.इस चक्र से शरीर को अग्नि प्राप्त होती है.तथा भोजन की पाचन क्रिया इसी चक्र पर निर्भर करती है.यदि मंगल या मेष या वृश्चिक राशि पीड़ित है तो यह जिस भाव से सम्बन्ध बना रहे है उन भावों के अंगों में कष्ट उत्पन्न होता है.मंगल या मंगल राशि पीड़ित रहने पर व्यक्ति की पाचन क्रिया ख़राब होती है.| यह चक्र ‘शक्ति एवं बुद्धिमानी’ का प्रतीक है।

4- *????अनाहत चक्र*-
यह चक्र ह्रदय में होता है.इसका स्वामी ग्रह शुक्र और उसकी राशि वृषभ या तुला राशि होती है.| यदि शुक्र राशि पीड़ित है तो इस चक्र के माध्यम से ह्रदय रोग उत्पन्न होता है.और इसकी राशियाँ पीड़ित होकर जिस भाव से सम्बन्ध बना रही है उस अंग में पीड़ा होती है | यह चक्र निश्चल प्रेम, अपनापन, आध्यात्मिक विकास, भक्ति, साधना एवं प्रेम का प्रतीक है।

5- *????विशुद्ध चक्र*-
यह चक्र कंठ में होता है.इस चक्र का स्वामी ग्रह बुध और उसकी राशि मिथुन व कन्या राशि होती है.इसलिए बुध वाणी का कारक ग्रह होता है.यदि बुध या इसकी राशियाँ पीड़ित हैं तो कंठ के साथ-२ वाणी दोष लगता है और जिस भाव से पीड़ित राशियों का सम्बन्ध होता है उस अंग में समस्या आती है.| अपनी अभिव्यक्ति एवं क्रियाशीलता, अपने मनोभावों को दूसरों तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण विभाग है।

6- *????आज्ञा चक्र*-
यह चक्र मस्तिस्क के दोनों भोहों के बीच होता है.इस चक्र के स्वामी सूर्य और चन्द्रमा और उनकी राशि कर्क और सिंह हैं.यदि सूर्य पीड़ित हो तो दूर की रौशनी और चंद्रमा पीड़ित हो तो पास की रौशनी पीड़ित होती है.सूर्य-चंद्रमा दोनों पीड़ित होतो तो नेत्र रोग के साथ-२ मस्तिक रोग भी उत्पन्न होता है| यह चक्र बाह्य ज्ञान का केंद्र है।

7- *????सहस्त्रधार चक्र*-
सहस्रार चक्र सिर के शिखर पर स्थित है। इसे “हजार पंखुडिय़ों वाले कमल”, “ब्रह्म रन्ध्र” (ईश्वर का द्वार) या “लक्ष किरणों का केन्द्र” भी कहा जाता है, क्योंकि यह सूर्य की भांति प्रकाश का विकिरण करता है। यह चक्र उच्चतम आध्यात्मिक साधना का स्थल है, उच्चतम स्थिति में ज्ञान को प्राप्त कर समाधि की अवस्था होती है।

???? प्रत्येक अंतः स्रावित ग्रंथियों (Endocrine glands ) के ऊपर एक प्रमुख चक्र है जो शरीर के संवेदनशील एवं प्रमुख अंगों के कार्यों को नियंत्रित एवं ऊर्जान्वित करते हैं | अगर अंतः स्रावित ग्रंथियों (Endocrine glands ) में कोई खराबी आ गई है तो संबंधित चक्र को ACTIVATE कर उस खराबी को दूर किया जा सकता है।

????????नवीन सांखला ????????
????9827254555????
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