- धार्मिक

शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी जी की पूजन करने से धन संपदा में बढ़ोतरी होती है

Spread the love

हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का बहुत बड़ा महत्व है। ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चाँद की किरणों में औषधीय गुण होते हैं और चंद्रमा की किरणें स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती हैं। वैसे तो हर माह आने वाली पूर्णिमा खास होती है लेकिन ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी 16 कलाएं दिखाता है और इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। इसके साथ ही शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा से जो रोशनी निकलती है वह अन्य पूर्णिमो की तुलना में ज्यादा चमकदार होती है।

शरद पूर्णिमा का मुहूर्त

शरद पूर्णिमा
अक्टूबर 13 2019 को 00:39 से पूर्णिमा आरम्भ
अक्टूबर 14 2019 को 02:40 पर पूर्णिमा समाप्त

आपको बता दें कि हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा के दिन महीना समाप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात को ही भगवान श्री कृष्ण ने वृंदावन में प्रेम और नृत्य के संगम महा-रास को रचा था। यही वजह है कि व्रज क्षेत्र के लोग इस पूर्णिमा को रस पूर्णिमा के नाम से भी पुकारते हैं। ज्योतिषियों की मानी जाए तो शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणें इतनी लाभदायक होती हैं कि इनसे कई रोगों का इलाज भी संभव है। इस दिन लोगों द्वारा गाय के दूध की खीर बनायी जाती है और उसे चांदनी में रखा जाता है। मान्यता यह है कि खीर को चांदनी में रखने से उसमें औषधिय गुण आ जाते हैं।
एस्ट्रोसेज पर पाएँ सभी समस्याओं पर आधारित विशेष रिपोर्ट
शरद पूर्णिमा व्रत एवं पूजा विधि

शरद पूर्णिमा के दिन लोगों के द्वारा पूर्णिमा व्रत रखा जाता है। इसके साथ ही आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले लोग भी इस दिन का महत्वपूर्ण मानते हैं और इस दिन ध्यान और साधना करते हैं। शरद पूर्णिमा के दिन हिंदु धर्म के लोग माता लक्ष्मी और चंद्रमा को पूजते हैं। माता लक्ष्मी की पूजा से पूर्व उनकी तस्वीर या मूर्ति को गंगाजल से नहलाया जाता है उसके बाद लाल कपड़े पर उनकी मूर्ति को स्थापित किया जाता है। इसके बाद धूप, दीप जलाकर माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और उसके बाद पुष्प उन्हें अर्पित किये जाते हैं।

माता लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करना भी इस दिन शुभ माना जाता है। इस दिन ब्राह्मणों को खीर का भोजन करवाया जाना चाहिये। यदि आपने उपवास रखा है तो इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही उपवास खोलना चाहिये। पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना भी शुभ माना जाता है इसलिये यदि आपका निवास स्थान किसी पवित्र नदी के आस पास है तो आपको नदी में स्नान अवश्य करना चाहिये।

शरद पूर्णिमा का महत्व

हर महीने आने वाली पूर्णिमा तिथि का ही हिंदु धर्म में बड़ा महत्व होता है लेकिन शरद पूर्णिमा को सभी 12 पूर्णिमाओं में सबसे खास माना जाता है। इस दिन उपवास रखने का बड़ा महत्व है। ऐसा माना जाता जिन विवाहित महिलाओं को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही वो यदि इस दिन उपवास रखें तो उन्हें संतान की प्राप्ति हो सकती है। वहीं कुंवारी कन्याएं यदि इस दिन व्रत रखें तो उन्हें सुयोग्य वर मिलता है। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की किरणों से तेज बरसता है और इससे आपकी आध्यात्मिक और शारीरिक शक्ति बढ़ती है। आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले पूर्णिमा की रात को कठोर साधना करते हैं और अपनी शक्तियों को बढ़ाते हैं।

शरद पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है वाल्मीकि जयंती

अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को ही रामायण जैसे महाकाव्य की रचना करने वाले महर्षि वाल्मीकि जी का जन्म हुआ था। इसलिए प्रति वर्ष शरद पूर्णिमा तिथि को वाल्मीकि जयंती मनायी जाती है।