- ज्योतिष, धार्मिक

कुंडली में शनि ग्रह की कृपा के लिए दशहरे पर करे शमी वृक्ष (खेजड़ी ) पूजा

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नवीन सांखला

*????वर्ष भर उत्तम स्वास्थय ऊर्जावान व शक्ति-सामथ्र्य से परिपूर्णता के लिए दशहरे पर करे शमी वृक्ष (खेजड़ी ) पूजन*????

*वैदिक ग्रंथों में त्योहारों और पर्वों को विशेष शक्तियों व अनुभूतियों को प्राप्त करने का अवसर बताया गया है,

????दशहरा दश पापों को हरनेवाला, दश शक्तियों को विकसित करनेवाला, दशों दिशाओं में मंगल करनेवाला , कष्टों को दूर करने वाला , मनोकामना पूर्ति , ज्योतिषीय उपाय हेतु , विशेष सिद्धियां प्राप्त करने के लिए और दश प्रकार की विजय देनेवाला पर्व है, इसलिए इसे ‘विजयादशमी’ भी कहते है |

????विजयादशमी साढेतीन मुहूर्तोंमेंसे एक है । इस दिन कोई भी कर्म शुभफलदायी होता है ।

????दशहरेके पूर्वके नौ दिनोंतक अर्थात नवरात्रिकाल में दसों दिशाएं देवी मां की शक्तिसे संचारित होती हैं । दशमी की तिथिपर ये दिशाएं देवीमांके नियंत्रणमें आ जाती हैं |
दशहरे का पर्व में श्रवण नक्षत्र का योग बड़ा ही विशेष महत्व रखने वाला माना गया है शास्त्रोक्त दृष्टि से इस दिन में विजय नामक मुहूर्त विद्यमान होने से इसे विजय का दिन माना गया है विजय दशमी या दशहरे को एक सिद्ध मुहूर्त माना गया है जिसमेकिये गए या आरम्भ किये गए शुभ कार्यों में सफलता प्राप्त होती है
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प्राचीन शास्त्रीय परंपरा के अनुरूप दशहरा के दिन क्षत्रिय शस्त्र पूजन करते हैं जबकि इस दिन ब्राह्मण शास्त्रों का पूजन करता है। वहीं व्यापार से जुड़े यानी वैश्य वर्ग के लोग अपने प्रतिष्ठान आदि का पूजन करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी काम किया जाता है, वह जीवनभर अच्छा फल देता है।

इसी प्रकार विद्यार्थियों को इस दिन अपनी पुस्तकों का पूजन, कारीगरों को अपनेऔजारों का, चिकित्सकों को अपने उपकरणों का, लेखकों को कलम का पूजन करना चाहिए | दशहरा पूजन में माँ शक्ति के पूजन के साथ साथ श्री रामदरबार का विशेष पूजन किया जाता है

*दशहरे पर वृक्ष पूजन*????

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ विशेष पेड़-पौधों की पूजा करने से हमारी कुंडली के दोष तो दूर होते ही हैं साथ ही जीवन की अनेक परेशानियों से छुटकारा भी मिल सकता है।
– *दशहरे के दिन शमी वृक्ष????*अर्थात खेजड़ी का पूजन करना चाहिए। खेजड़ी वृक्ष की पूजा करने के बाद उसकी टहनी घर में लाकर मुख्य चौक के अंदर प्रतिष्ठित करनी चाहिए।

– *????दशहरे के दिन शमी के वृक्ष* का पूजन साल भर के लिए धन और संपन्नता का सुख देता है। माना जाता है कि इस दिनकुबेर ने राजा रघु को स्वर्ण मुद्राएं देने के लिए शमी के पत्तों को सोने का बना लिए दिया था। तभी य‍ह इस वृक्ष के पूजन और इसकी पत्त‍ियां भेंट करने की परंपरा है।
– मान्यता है कि शमी के पत्तों को घर लाने से घर में स्वर्ण का आगमन होता है। शमी पेड़ का पूजन कर उसके पत्‍ते धन तिजोरी में रखने से कभी धन की कमी नहीं होती।
– ????शमी पूजन से पूर्व में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं , यानि पापों के फल से मुक्ति मिलती हैं |

– ????शमी पूजन से दुख , दारिद्रय नष्ट हो जाता हैं , और सुख तथा उन्नति प्राप्त होती हैं |
शनि के कोप से बचाता है शमी
न्याय के देवता शनि को खुश करने के लिए शास्त्रों में कई उपाय बताए गए हैं, जिनमें से एक है शमी के पेड़ की पूजा. शनिदेव की कुपति दृष्टि से रक्षा करने के लिए शमी के पेड़ की पूजा करनी चाहिए.|
????नवग्रहों में शनि महाराज को न्यायाधीश का स्थान प्राप्त है, इसलिए जब शनि की दशा आती है, तब जातक को अच्छे-बुरे कर्मों का पूरा फल प्राप्त होता है. यही कारण है कि शनि के कोप से लोग भयभीत रहते हैं.

????कई दोषों का होता है निवारण– ????

शमी वृक्ष का पूजन करने से पतिव्रता स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। उनके परिवार में खुशियां आती हैं। लिहाजा महिलाओं को दशहरे को शमी पूजन जरूर करना चाहिए। और जो लोग शत्रुओं से पीड़ित हों, उन्हें विजय मिलती है।
शमी के वृक्ष पर कई देवताओं का वास होता है. सभी यज्ञों में शमी वृक्ष की समिधाओं का प्रयोग शुभ माना गया है. शमी के कांटों का प्रयोग तंत्र-मंत्र बाधा और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए होता है. शमी के पंचांग, यानी फूल, पत्ते, जड़ें, टहनियां और रस का इस्तेमाल कर शनि संबंधी दोषों से जल्द मुक्ति पाई जा सकती है.
????शमी वृक्ष तेजस्विता एवं दृढ़ता का प्रतीक भी माना गया है, जिसमें अग्नि तत्व की प्रचुरता होती है। इसी कारण यज्ञ में अग्नि प्रकट करने हेतु शमी की लकड़ी के उपकरण बनाए जाते हैं।
आयुर्वेदिक दृष्टि में तो यह अत्यंत गुणकारी औषधि मानी गई है।
दशहरा या विजयादशमी का पर्व विजय का पर्व है।
इस दिन जीवन में प्रत्येक क्षेत्र मे विजय की प्राप्तिके लिए साधना करनी चाहिए।
इस दिन अपराजिता विद्या की साधना से अभीष्ट की प्राप्ति तथा विजय का मार्ग प्रशस्त होता है।
अपराजिता का तात्पर्य है जो पराजित ना हो…

मन्त्र:- ????
*????॥। ॐ अपराजिता महाविद्यायै नमः ॥*
*ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते।*
इससे आरोग्य सुख की प्राप्ति होती है। और धन संपत्ति मान सम्मान और सुख ऐश्वर्य में वृद्धि होती है।
*विजयादशमी शुभ मुहूर्त*????
सर्वश्रेष्ठ अभिजीत मुहूर्त दोपहर *11 बजकर 36 से 12 बजकर 24 तक के मध्य है।*
*दूसरा मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 24 से 2 बजकर12 तक है*