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इंदौर में आंखों के ऑपरेशन के बाद रोशनी चली गई 11 लोगों की, ऑपरेशन थिएटर सील, मरीजों को 10 दिन से कैद कर रखा है अस्पताल में

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इंदौर/ हॉस्पिटल में 11 मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई। कुछ मरीजों को एक आंख तो कुछ मरीजों को दोनों आंखों से दिखाई नहीं दे रहा। ये सभी मरीज 8 अगस्त को राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत ऑपरेशन के लिए हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे। उसी दिन इनके ऑपरेशन हुए। अगले दिन आंखों में दवाई डालने के बाद इंफेक्शन हुआ और मरीजों ने हंगामा शुरू किया। कई मरीज रोने लगे। डॉक्टरों ने चेक किया तो बोले- हमें सब कुछ सफेद दिख रहा। कुछ ने बताया कि उन्हें सिर्फ काली छाया दिखाई दे रही है। जांच के बाद डॉक्टरों ने माना कि इंफेक्शन हो गया है, लेकिन वे यह नहीं बता सके कि इसकी वजह क्या है।

इधर, स्वास्थ्य विभाग ने घटना के बाद हॉस्पिटल का ओटी सील कर दिया है। यहां आंखों के ऑपरेशन पर पाबंदी लगा दी है। जांच के बाद कारण स्पष्ट होने पर कड़ी कार्रवाई की बात कही जा रही है। अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सुधीर महाशब्दे ने बताया कि संक्रमण का कारण अब तक पता नहीं चला है। अन्य विशेषज्ञ भी जांच कर चुके हैं। सैंपल भी जांच के लिए भिजवाए हैं।
फुटबॉल खिलाड़ी रहे मनोहर हरोर की बाईं आंख के मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ। ऑपरेशन के बाद जब दवाई डाली तो उस आंख से दिखना बंद हो गया। एक दिन के ऑपरेशन के लिए अस्पताल आए मनोहर को यहां 10 दिन हो गए हैं। पूरे दिन बिस्तर पर ही रहते हैं।
धार जिले की आहू निवासी रामी बाई रोज रोती हैं, उन्हें दोनों आंखों से दिखाई नहीं दे रहा। एक बेटा है, उसने कह दिया है कि जब आंख ठीक हो, तभी आना। अब घर जाना चाहती हैं, पर लापरवाही से लाचार हो गई हैं।
इसी अस्पताल में दिसंबर 2010 में भी हो चुके हैं ऑपरेशन फेल : इंदौर आई हॉस्पिटल में दिसंबर 2010 में भी मोतियाबिंद के ऑपरेशन फैल हो गए थे, जिसमें 18 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। इस पर तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. शरद पंडित ने संबंधित डॉक्टर व जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा की। 24 जनवरी 2011 को अस्पताल को मोतियाबिंद ऑपरेशन व शिविर के लिए प्रतिबंधित कर दिया। ओटी के उपकरण, दवाइयां, फ्ल्यूड के सैंपल जांच के लिए एमजीएम मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब भेजे गए। इसके बाद शिविरों के लिए सीएमएचओ की मंजूरी अनिवार्य कर दी। कुछ महीने बाद अस्पताल पर पाबंदियां रहीं, फिर इन्हें शिथिल कर दिया। 2015 में बड़वानी में भी इसी तरह की घटना में 60 से ज्यादा लोगों की रोशनी चली गई थी।
पति-पत्नी दोनों ने ऑपरेशन करवाए, दोनों को दिखना बंद : सबसे बुरी हालत सिरपुर निवासी बुजुर्ग दंपती कैलाश और कलावती की है। दोनों ने बाईं आंख का ऑपरेशन करवा लिया, अब देख नहीं पा रहे। सब कुछ धुंधला नजर आ रहा है। एक-दूसरे का आसरा बने हुए हैं, पर चिंता यह सता रही है कि रोशनी वापस लौटेगी कि नहीं। इधर जिला कलेक्टर लोकेश जाट वाले सभी पीड़ित मरीजों को ₹50000 की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है वहीं स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने दोषियों के खिलाफ जांच के बाद कड़ी कार्रवाई की बात कही है मरीजों को तत्काल राहत हेतु ₹20000 की आर्थिक सहायता की घोषणा की।