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और जब अटल जी ने किए सुषमा जी से सवाल

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दीदी आयी..
दीदी आयी..

भागते भागते ही
प्रमोदजी द्वारपे आये
आ रही सुषमादी को देख
प्रसन्न मुस्कुराये।

अटलजी पुछ रेहे थे
“इतने जल्दी? क्यों? कैसै?”
तभी भागते आयी दीदीने
पैर उनके नेहेलाये
अपने आँसुओंसे।

“क्यों सुषमा.. जल्दी क्यों आयी हो?
माँ भारती ने छोड़ा कैसे?”
अटलजी ने घेर दिया सवालोंसे
“या तुम भाग आयी हो?”

नकार कर वह विदूषी बोली..
संस्कार है आपकेही हमपर..
हम भला कैसे भागेंगे..
समय आ गया है अब, अटलजी
हर एक सपना हमारा
हम पूरा कर दिखायेंगे।

तभी आये श्यामा दा कहींसे
और भी कईं साथ थे..
देख झुकी वह संस्कारी नारी
आशिष जो उनके लेने थे।

उठो बेटा.. तुम यहाँ पर
तो वहाँ कौन अब गरजेगा?
हमारी सरकार तो है बनी..
पर प्रभावशील भाषण
कौन अब करेगा?

चिंता न करें आप सब
स्मृति-पूनम को छोड़ मैं आयी हूँ
प्रभावी वक्ता हैं तो वह भी
मैं कुछ नया समाचार लायी हूँ।

एक क़ायदा .. एक निशान
अब एक ही है संविधान
कश्यप ऋषि की पावन धरा यह
अब ले रहा है हिंदुस्तान।

समान नागरी क़ायदा कर
मोदी जी ने वचन है पूर्ण किया
स्वर्गभूमी कश्मीर को अब
दरिंदोके चंगुलसे मुक्त किया।

रोक नहीं पायी मैं खुदको
यही ख़बर जो सुनानी थी
तीन घंटोमे ही निकल पड़ी मैं..
नीचे जश्नकी तैय्यारी थी।

सपना था आपका ओ श्यामादा..
वह हम सबने है पूर्ण किया..
विश्वमें उभरेगी माँ भारती अब
बाक़ियों ने मुझे है वचन दिया।

संकल्प सिद्धी हुइ हमारी अब..
इसिलिये मैं चली आयी..
विश्वविजेता बनेगा भारत
मौसम ने ली है अब अंगड़ाई।

ख़ुश हुए सब..
यह ख़बर सुनके..
बोले…
अब वापस चलना है।
ऋण माटी का
फिटा नहीं अब..
जन्म वहींपर लेना है।

वंदे मातरम्।