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एक तरफ बारिश से खिले किसानों के चेहरे तो वही दुसरी और जलभराव से कर रहे है दिक्कतों का सामना

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घोंसला/आसमान पर छाए बादलों के बरसने का इंतजार कर रहे लोगों को आखिरकार सोमवार की शाम 6 बजे राहत मिली। जब गरज चमक के साथ जोरदार बारिश हुई। इससे मौसम में ठंडक घुल गई। इसके बाद पूरी रात पानी रुक-रुक कर बरसता रहा। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी बारिश का दौर शुरू हो गया है।मानसून की दस्तक से ही खेतों में पानी बह गया। किसान जिस बेसब्री से मानसून का इंतजार कर रहे थे, वह पूरा हुआ। हालांकि जिले में बारिश का दौर विगत शुरुआती जून से शुरू हो गया है, लेकिन पर्याप्त बारिश नहीं हो पाई, जिससे खेतों में बुवाई लायक बारिश नहीं हुई थी। बारिश होने से लोगों को गर्मी से काफी राहत मिली। बारिश के आते ही क्षेत्र के हाट बाजारों व दुकानों में किसान बोवनी के लिए बीज लेने के लिए पहुंच रहे है। बारिश के बाद क्षेत्र के किसान बोवनी की तैयारियों में व्यस्त नजर आने लंगेगे रहे। वहीं बारिश से मकानों की छवाई नहीं हो पाने के कारण लोग प्लास्टिक की पन्नी खरीदकर चढ़ा रहे हैं। मकानों को छवाने के लिए मजदूर नहीं मिलने से लोगाें को स्वयं ही अपने मकानों की छवाई करनी पड़ रही है। बारिश होते ही बरसाती व चद्दरों की दुकानों पर भीड़ उमड़ पड़ी।

*बारिश के बाद खिले चेहरे*

हवा के साथ हुई बारिश के बाद मौसम खुशनुमा हो गया। घोंसला सहित अन्य गांवों शाम से शुरू हुई हवा के साथ तेज बारिश से विगत दिनों से गर्मी झेल रहे लोगों को कुछ ठंडक महसूस हुई। बारिश होने से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं और वह बोवनी के कार्य में तेजी दिखा रहे हैं। किसानों के अनुसार इस बार फसल अच्छी होने की उम्मीद है। तेज बारिश शुरू होती ही बच्चों ने सडकों पर जमकर मौज मस्ती की।

*बारिश से दिक्कत*

बरसात के बाद शहर में जगह-जगह जलभराव हुआ तो लोगों को इसके कारण भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। बहुत से दुकानदारों के दुकान के सामने बरसात का पानी जमा हो गया।वहीं, बारिश ने फिर से उन ग्राम पंचायतों के सफाई के उन दावों की पोल खोल दी, जिसको लेकर अधिकारी बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे।सोमवार की शाम 6 बजे के समय अचानक बारिश शुरू हुई। जो पूरी रात रुक रुककर चलती रही,बारिश के बाद गांव में जगह-जगह जलभराव हुआ। यहां तक कि कालोनियां में भी नालिया का पानी उबरा कर घरो में घुसने लग गया।जलभराव के कारण लोगों को रास्तों से गुजरने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है जबकि नालों की सफाई पर बरसात से पहले ना जाने कितने ही रुपये खर्च किए जाते हैं। बावजूद इसके नाले गंदगी से अटे पड़े रहते है। जिनकी सफाई के नाम पर सिर्फ रुपये की बर्बादी अधिकारी करते हैं और मोटी रकम डकार जाते हैं।

घोंसला से राहुल कुमावत की रिपोर्ट