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ग्वालियर का युवक इंदौर में सड़क दुर्घटना में घायल, पुलिस की लापरवाही से घायल का पिता परेशान

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ग्वालियर- इंदौर/ शहर के सूर्या टावर स्थित दुकान में टाइपिंग और फ़ोटो कॉपी का व्यवसाय करने वाले मोहन अग्रवाल के बेटे को इंदौर में 3 बदमाशों ने मारी टक्कर ,पुलिस भी दे रही है बदमाशों का साथ ,नही लिखी जा रही रिपोर्ट,मोहन अग्रवाल का बेटा कृष अग्रवाल अचेत अवस्था में पुलिस जवान द्वारा अपोलो हॉस्पिटल में किया गया भर्ती। पुलिस ने मौके से बदमाश लड़कों को किया फरार,लेकिन सीसी टीवी फुटेज में कैद है ।

दरअसल ग्वालियर शहर में टाइपिंग और फ़ोटो कॉपी का कार्य करने वाले मोहन अग्रवाल के बेटे कृष अग्रवाल को इंदौर के भावरकुआँ इलाके के सत्कार टॉवर के पास तीन बाइक सवार बदमाशों ने टक्कर मार दी। मौके पर मौजूद कुछ पुलिस कर्मी जो चालान काट रहे थे,उन्होंने ये सारी घटना देखी वे कृष को जो अचेत अवस्था में था उसे अपोलो हॉस्पिटल भावरकुआँ लेकर पहुंचे। साथ ही दो बाइक सवार बदमाश लड़के भी अपनी मल्लम पट्टी कराने पुलिस के साथ पहुंचे। लेकिन पुलिस ने इन बाइक सवार बदमाशों से पैसे लेकर इन्हें जाने दिया । और अचेत अवस्था में अकेला पड़ा बेचारा कृष अपने परिवारजनों को भी घटना की सूचना नही दे पाया। कृष को अकेला छोड़ पुलिस भी अपना कर्तव्य निभाती नही दिखी। हॉस्पिटल से बाइक सवार बदमाशों के साथ पुलिस भी फरार हो गई। जब घटना की सूचना कृष के पिता मोहन अग्रवाल को मिली तो वे तुरंत ग्वालियर से इंदौर के अपोलो हॉस्पिटल पहुंचे। उन्होंने इंदौर पहुंच कर तत्काल पुलिस को घटना की सूचना दी। लेकिन पुलिस तो पहले ही बिक चुकी थी । वैसे भी जब रक्षक ही भक्षक बन जाये तो रक्षा कौन करेगा। अब होना क्या था मोहन अग्रवाल को गुमराह किया गया । उनकी एफआईआर नही लिखी गई । जब मोहन अग्रवाल ने एक मीडिया कर्मी की मदद ली । तो पुलिस भी हरकत में आई लेकिन वो बदमाशों को बचाती नजर आई। उसने रिपोर्ट तो लिखी लेकिन अज्ञात के नाम से। ————-यहाँ सवाल ये उठता कि घटना स्थल से पुलिस के द्वारा कृष को हॉस्पिटल लाने वाले सीसीटीवी फुटेज जब सामने आया । तब भी पुलिस मूक बनी रही। कृष के पिता ने ही घटना की सूचना पुलिस को दी। जबकि पुलिस जवान वीडियो में कृष को कंधे पर लाता दिख रहा है । सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखाई दे रहा है कि दो और बाइक सवार भी हॉस्पिटल में अपना इलाज कराने पुलिस के साथ पहुंचे थे। फिर पुलिस ने उन्हें जाने क्यों दिया । और पुलिस ने अज्ञात के नाम से रिपोर्ट क्यों डाली। एक और बड़ा सवाल पुलिस कृष अग्रवाल के परिवारजनों को समय पर सूचना क्यों नही दे पाई,क्या वो मामले को दबाना चाहती थी। साथ ही घटना के बाद पुलिस हॉस्पिटल से नदारद क्यों हुई ,उसने घटना को गंभीरता से क्यों नही लिया,इस घटना पर पहले से कोई एक्शन क्यों नही लिया। जबकि कृष को आईसीयू में भर्ती किया गया था। अचेत अवस्था में भर्ती कृष के परिवारजन तक पुलिस क्यों नही पहुँची। ये मामला इंदौर पुलिस के भ्रष्ट सिस्टम का उदाहरण है एक बेबस पिता अपने अचेत अवस्था में पड़े पुत्र का इलाज कराए या फिर एक रिपोर्ट लिखाने के लिए थाने के चक्कर काटे ।