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टाटा की प्रतिष्ठा को धूमिल कर रहे हैं अनुभवहीन उप ठेकेदार

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मिलीभगत से राजस्व को भी पहुंचाई जा रही है हानि, नोडल अधिकारी की खामोशी समझ से परे,3 वर्ष का सीवरेज प्रोजेक्ट 6 वर्ष बाद भी अपूर्ण, पुण्य सलिला मां शिप्रा में दिनदहाड़े अवैध खनन
राजकुमार अग्रवाल

उज्जैन/ विश्व प्रसिद्ध द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल की नगरी में पुण्य सलिला मां शिप्रा की किस तरह दुर्दशा हो रही है यह किसी से छुपा हुआ नहीं है ऐसे में भैरव गढ़ क्षेत्र के सिद्धवट मंगलनाथ को जोड़ने वाले पुल के समीप सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया जा रहा है। जिसका स्टेट वार्ता की टीम के द्वारा मौका मुआयना किया गया तो आंखों देखे विश्वास नहीं हुआ। लेकिन जो देखा वह भी सच है, सच लिखने से परहेज भी नहीं है। देश की नामी कंपनी टाटा के द्वारा स्मार्ट सिटी मैं उज्जैन का चयन होने के बाद सीवरेज प्रोजेक्ट अपने हाथों में लिया लेकिन वर्ष 2017 में लिए गए इस प्रोजेक्ट के 2022 तक अपूर्ण होने से कई सवाल जन्म लेते हैं। टाटा कंपनी के द्वारा कार्य को गति देने के लिए उप ठेकेदारों का सहारा लिया गया जोकि अनुभवहीन होकर कार्य की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ करने के अलावा मां शिप्रा के किनारे अवैध खनन कर टाटा की प्रतिष्ठा को धूमिल कर रहे हैं।

इस प्रकरण में जब तथ्यपरक जानकारियां लेने का प्रयास किया गया तो सीवरेज प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों के द्वारा भ्रमित किए जाने की नाकाम कोशिश की गई। कुल मिलाकर एक भी जवाबदेह अधिकारी यह नहीं बता पा रहा था कि शिप्रा नदी में अवैध खनन किसकी अनुमति से किया जा रहा है और ना ही वह यह जवाब दे पा रहे थे की यह प्रोजेक्ट कब तक पूर्ण होगा जब सीवरेज प्रोजेक्ट की गुणवत्ता के संबंध में भी सवाल उठाए गए तो अधिकारी गोलमाल जवाब देकर कन्नी काट रहे थे। मजेदार तथ्य तो यह है कि केंद्र सरकार के द्वारा इस प्रोजेक्ट की निगरानी हेतु सेबिकाज को नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है जिसके अधिकारी आशीष जैन यहां पर पदस्थ है उनकी देखरेख में ही टाटा का सीवरेज प्रोजेक्ट कछुआ चाल से पूर्ण हो रहा है।

खेत मालिक द्वारा मिट्टी वापस नहीं करने की बात कह कर कर रहे हैं अधिकारी अपने कर्तव्य की इतिश्री

मौके पर जब शिप्रा नदी के किनारे से मिट्टी के खनन को करते हुए पाया गया तो इस संबंध में अधिकारियों से चर्चा हुई जिनमें टाटा की ओर से मैनेजर के पद पर आसीन सुरेंद्र कुमार शर्मा से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के दोनों साइड निजी जमीन है और जमीन मालिकों से एक एक बीघा जमीन मिट्टी पटकने के लिए ली थी उक्त जमीन पर डाली गई मिट्टी खेत मालिकों ने यह कहते हुए वापस लौटाने से मना कर दिया कि अब उनकी फसल खड़ी हुई है उसके बाद ही इसका निराकरण होगा श्री शर्मा के अनुसार उज्जैन नगर पालिक निगम की ओर से जीवन तथा एक अन्य कृषक जोकि इंजीनियर रहे हैं के विरुद्ध न्यायालय में वाद दायर किया है। मजेदार बात तो यह है कि दोनों किसानों को 3 लाख रुपए पिछले 5 सालों से दिए जा रहे हैं और आने वाले वर्षों के लिए भी दिए जाएंगे ऐसे में मिट्टी का यह खेल समझ से परे है। अवैध खनन के मामले में श्री शर्मा बताते हैं कि खेत मालिकों के द्वारा मिट्टी नहीं डालने दी जा रही है ऐसे में शिप्रा नदी के किनारे से खनन की गई मिट्टी को रोड बनाने के काम में उपयोग में लिया जा रहा है वही पाइप लाइन डालने के बाद रॉयल्टी वाली मिट्टी यहां पर डलवाई जाएगी लेकिन देखने में यह आया है कि उप ठेकेदार कार्य पूर्ण कर लापता हो जाते हैं और गड्ढे खुले छोड़ दिए जाते हैं।

अनुभवविहीन उप ठेकेदार के भरोसे चल रहा है सीवरेज प्रोजेक्ट
विगत 6 वर्षों से शहर की सड़कों को बदहाल करने वाले टाटा कंपनी के सीवरेज प्रोजेक्ट पर गौर फरमाया जाए तो स्पष्ट रूप से दिखाई देता है कि काम को विशेषज्ञ ठेकेदारों को दरकिनार कर अनुभवहिन उप ठेकेदारों से पूर्ण करवाया जा रहा है जिसके परिणाम स्वरूप कोई भी ठेकेदार 3 माह से अधिक सीवरेज प्रोजेक्ट से जुड़ा नहीं रहता। काम को अधूरा छोड़ कर निकल जाते हैं फिर टाटा कंपनी का काम देख रहे सुरेंद्र शर्मा नए ठेकेदार की तलाश में जुट जाते हैं।

अवैध खनन की मिट्टी से बनाई जा रही है सड़क

मौके पर पहुंचने पर देखने को मिला कि शिप्रा नदी के किनारे किए गए अवैध खनन से निकली मिट्टी को यह कार्य कर रहे ठेकेदार के द्वारा ट्रीटमेंट प्लांट के कुएं और बिल्डिंग के बीच बनने वाली सड़क में उपयोग में लाया जा रहा है । इतना ही नहीं ठेकेदार के द्वारा सीवरेज के कुएं के आसपास भी इसी मिट्टी से भराव कराया गया है। जिससे विशालकाय कुएं के क्षतिग्रस्त होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता जबकि इस कुए के आसपास बोल्डर पीली मिट्टी के आदि का भराव किया जाना चाहिए जिसे कुवे की मजबूती रहती है।

राजस्व को पहुंचाई जा रही है हानि

इस प्रोजेक्ट के दौरान राजस्व चोरी करने का मामला भी देखने को मिला है सरकारी जमीनों से मिट्टी खोदकर उपयोग में लाई जा रही है जबकि प्रोजेक्ट में मिट्टी गिट्टी मोहर्रम आदि खदान से मंगवाई जाने का अनुबंध है लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से राजस्व की चोरी की जा रही है।

नोडल एजेंसी के अधिकारी बने हुए हैं मूकदर्शक

सीवरेज प्रोजेक्ट पर निगरानी रखने हेतु केंद्र सरकार के द्वारा सेबिकास को जिम्मेदारी सौंपी गई है। नोडल अधिकारी के रूप में आशीष जैन यहां पर कार्य देख रहे हैं लेकिन वह भी आंखें मूंदे बैठे हुए हैं जिसकी वजह से यह प्रोजेक्ट दुगनी अवधि होने के बावजूद भी अपूर्ण है तथा इसकी गुणवत्ता पर भी प्रश्नचिन्ह उठ रहे हैं।

कुल मिलाकर जिस तरह से सीवरेज प्रोजेक्ट का कार्य किया जा रहा है उससे निश्चित ही टाटा जेसी प्रसिद्ध कंपनी की प्रतिष्ठा धूमिल होगी।