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विक्रम विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार के चलते करीब एक करोड़ रुपए का पड़ा भार- श्री पुरोहित

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नकलची प्रोफ़ेसर को करवाया बहाल, पूर्व कुलपति और कमेटी के निर्णय को बदला
उज्जैन/ विक्रम यूनिवर्सिटी मैं व्याप्त भ्रष्टाचार के मामले अब शिखर पर पहुंच चुके हैं। ईमानदारी की दुहाई देने वाले कुलपति की सहमति से नकलची प्रोफेसर तिवारी की बहाली का मामला इन दिनों चर्चाओं में बना हुआ है।
मालवा रक्षा अनुष्ठान के संयोजक वरिष्ठ समाजसेवी अधिवक्ता सत्यनारायण पुरोहित ने रविवार को विक्रम विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर एक दिवसीय सत्याग्रह कर मध्य प्रदेश के राज्यपाल कुलाधिपति मंगू भाई से मांग की है कि वह विक्रम विश्वविद्यालय में हुए बहाली प्रकरण की जांच करवाएं और इस बहाली के मामले में विक्रम के प्रशासनिक अमले के द्वारा जो भ्रष्टाचार किया गया है उन दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए। श्री पुरोहित के अनुसार डॉक्टर सुनंदा भारद्वाज के द्वारा लिखी गई थिशीष को प्रोफेसर पवनेंद्र तिवारी के द्वारा नकल कर अपनी बताए जाने का मामला जब प्रकाश में आया तो विक्रम विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति के द्वारा जांच करवाई जाकर पीएचडी की उपाधि से नवाजे गए श्री तिवारी की डॉक्टरेट की उपाधि वापस ली गई थी। वही यह मामला न्यायालय में पहुंचा जिसमें वर्ष 2021 तक विक्रम विश्वविद्यालय की ओर से श्री तिवारी को दोषी बताया जा रहा था लेकिन अचानक विक्रम के अधिकृत अधिवक्ता के द्वारा उनकी बहाली पर अनापत्ति देते हुए पूरे मामले का उलटफेर कर दिया। श्री पुरोहित के अनुसार इस मामले में अधिवक्ता को विक्रम विश्वविद्यालय के प्रशासन की ओर से बहाल कराने के मौखिक निर्देश दिए गए थे। जिसके परिणाम स्वरूप श्री तिवारी की बहाली होते ही विक्रम विश्वविद्यालय पर करीब ₹1 करोड़ की राशि का भार पड़ा। श्री पुरोहित के अनुसार इस मामले में जांच में लापरवाही की गई तो उनके द्वारा आगामी दिनांक 2 को राज्यपाल के आवास पर सत्याग्रह किया जाएगा