- धार्मिक

घर-घर विराजे विघ्नहर्ता विनायक, 10 दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत

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मंगल मूर्ति विघ्नहर्ता विनायक आज देशभर में घर घर मैं विराजे और इसी के साथ शुरू हुआ 10 दिवसीय गणेश उत्सव । वैसे गणेश उत्सव महाराष्ट्र के मुंबई में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है यहां लालबाग के राजा के दर्शन हेतु देशभर से श्रद्धालुओं का जमावड़ा देखने को मिलता है।
मध्य प्रदेश मैं भी घर घर मंगल मूर्ति की स्थापना के साथ गणेश उत्सव पर्व की शुरुआत आज से हो चुकी है। उज्जैन के चिंतामन गणेश मंदिर में 10 दिनों तक विशेष पूजन अर्चन अभिषेक आदि धार्मिक आयोजन समिति के द्वारा संपन्न कराए जाएंगे इसी तरह इंदौर के खजराना गणेश मंदिर पर भी 10 दिवसीय गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। बाबा महाकाल का भस्मा आरती के बाद किए जाने वाला सिंगार भी आज विघ्नहर्ता विनायक के रूप में किया गया। शहर में अनेक स्थानों पर सामाजिक संगठनों के द्वारा विशालकाय गणेश प्रतिमा की स्थापना की गई।
इधर उज्जैन शहर की सामाजिक संस्था लोकमान्य तिलक गणेश उत्सव समिति के द्वारा पिछले कुछ वर्षों से मिट्टी से गणेश प्रतिमाओं का निर्माण करवाया जाकर शहर वासियों को निशुल्क वितरण का कार्य किया जा रहा है। इस बार भी बड़ी प्रतिमाओं के रूप में 211 प्रतिमा संस्था के द्वारा निर्मित करवाई गई थी इसके अलावा छोटी प्रतिमाओं का निर्माण भी करवाया गया जिनका वितरण पिछले 2 दिनों से किया जा रहा है।

300 वर्षों बाद पांच दुर्लभ संयोग

इस वर्ष की चुतुर्थी क्यों है खास ?
*पंडित सुयश शर्मा*
*31 अगस्त 2022 को गणेश उत्सव प्रारंभ हो रहे हैं। इस दिन भाद्रपद की चतुर्थी तिथि है। इसी दिन गणेशजी का जन्म हुआ था। इस बार गणेश चतुर्थी पर 300 साल पर ऐसे 5 दुर्लभ योग बन रहे हैं कि यदि इस बार घर में गणेशजी की विधिवत पूजा की जाएगी तो भाग्य खुल जाएंगे और गणपतिजी का विशेष आशीर्वाद मिलेगा।*

*1- वार, तिथि और नक्षत्र का संयोग :- इस वर्ष 31 अगस्त बुधवार को वे सारे योग-संयोग बन रहे हैं, जो गणेश जी के जन्म के समय पर बने थे। जैसे वार बुधवार, तिथि चतुर्थी, नक्षत्र चित्रा और मध्याह्न काल यानी दोपहर का समय। इन्हीं योग संयोग में माता पार्वती ने मिट्टी से गणेशजी को बनाया था। बुधवार गणेशजी का ही वार है। ऐसा संयोग 10 वर्ष पहले बना था।*

*2- दुर्लभ लंबोदर योग :- गणेश उत्सव के 10 दिनों में रोज कोई न कोई शुभ योग बन रहा है और एक ऐसा दुर्लभ योग भी बन रहा है जो पिछले 300 सालों में नहीं बना। इस योग को लंबोदर योग कहा जा रहा है जो कि गुरु ग्रह से बन रहा है जिसे देह स्थूल योग भी कहते हैं। गणेशजी का एक नाम लंबोदर ही है।*

*3-अन्य दुर्लभ योग : – लंबोदर योग के साथ ही गणपति के जन्म काल के वक्त वीणा, वरिष्ठ, उभयचरी और अमला नाम के राज योग भी बनेंगे।*

*4- रवि योग :-गणेश चतुर्थी के दिन प्रात: 05:38 से रात्रि 12:12 तक रवियोग रहेगा और इस दिन शुक्ल योग भी रहेगा।*

*5- ग्रह संयोग :- इस दिन चार ग्रह अपनी स्वराशि में रहेंगे। बृहस्पति मीन में, शनि मकर में, बुध कन्या में और सूर्य सिंह राशि में विराजमान रहकर शुभ योग निर्मित करेंगे।*

*6- कुल योग :-1.लंबोदर योग (स्थूल योग), 2-वीणा, 3- वरिष्ठ, 4- उभयचरी, 5- अमला, 6- रवियोग, 7-शुक्ल योग, 8- ब्रहमयोग। इसी के साथ वार तथा नक्षत्रों के विशेष संयोजन से बनने वाला 9- कालदण्ड और 10- धूम्र योग भी रहेगा। साथ ही वार, तिथि और नक्षत्र का वह संयोग भी रहेगा जिस संयोग में गणेशजी ने जन्म लिया था।