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उज्जैन मंडल अभिभाषक संघ के अध्यक्ष पद से हटाया रवि दादा को

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नई कोर्ट में हो रहे भ्रष्टाचार और नए मीटर की गड़बड़ियों को लेकर गर्मआ था माहौल
पप्पू शर्मा द्वारा
उज्जैन / उज्जैन मंडल अभिभाषक संघ मैं आज उस समय अभिभाषको मैं नाराजगी बढ़ गई जब अध्यक्ष रवि त्रिवेदी दादा बैठक छोड़कर चले गए। श्री त्रिवेदी के द्वारा पदाधिकारी और कार्यकारिणी की आहूत बैठक को इस तरह नजर अंदाज करने पर अभिभाषक संघ के अन्य पदाधिकारियों ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर श्री त्रिवेदी को पद मुक्त कर उनके स्थान पर उपाध्यक्ष एडवोकेट नितिन जोशी को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया है।
इस संबंध में जब स्टेट वार्ता न्यूज़ चैनल के द्वारा छानबीन की गई तो मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ सामने आया। एडवोकेट प्रदीप जायसवाल और संदीप भार्गव के द्वारा अलग-अलग आवेदनों के माध्यम से नई कोर्ट में बन रही सीढ़ी और नए मीटर में हो रही गड़बड़ी से जुड़े मामले संघ के पदाधिकारियों और कार्यकारिणी को जानकारी में दिए थे लेकिन लंबा समय व्यतीत हो जाने के बावजूद मंडल अभिभाषक संघ के अध्यक्ष रवि त्रिवेदी दादा के द्वारा सदस्यों के आवेदन पर किसी प्रकार के जवाब नहीं दिए गए। जिसके परिणाम स्वरूप अभीभाषको में आक्रोश पनप रहा था। मंडल अभिभाषक संघ के एक पदाधिकारी के द्वारा आज ईलाइब्रेरी में दोपहर 2:00 बजे एक बैठक आहूत की गई जिसमें अध्यक्ष रवि त्रिवेदी उपाध्यक्ष नितिन जोशी सचिव कोषाध्यक्ष और दोनों सह सचिव सहित कार्यकारिणी के 11 सदस्यों में से 8 सदस्य उपस्थित थे जिन के समक्ष प्रदीप जायसवाल और संदीप भार्गव के आवेदनों को रखा गया। आहूत बैठक में कार्यकारिणी कोई विचार विमर्श कर पाती उसके पहले ही श्री त्रिवेदी यह कहते हुए बाहर निकल गए कि दोनों मामलों में समिति बना दी गई है समिति जाने उसका काम।
अध्यक्ष के इस तरह से बैठक को छोड़कर जाने से वहां उपस्थित पदाधिकारियों में आक्रोश फैल गया तथा अन्य अभिभाषक भी वहां पर पहुंच गए जिनके द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया जा कर श्री त्रिवेदी को पद मुक्त करने का लेखा जोखा तैयार किया और कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में उपाध्यक्ष नितिन जोशी को जिम्मेदारी दी गई। कुल मिलाकर बैठक में उपस्थित सदस्यों का कहना था कि अध्यक्ष जी के द्वारा किस ठेकेदार से कितनी राशि खर्च कर यह सिढी बनवाई जा रही है इसकी स्थिति स्पष्ट करने में उन्हें परेशानी क्या है उनका सीधे-सीधे कहना है कि कहीं ना कहीं यह मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है और इसकी सूक्ष्मता से जांच होना चाहिए। यह विदित रहे कि आम जनता को न्याय दिलाने के लिए तत्पर रहने वाले अभिभाषक पिछले कुछ वर्षों से अपने निजी स्वार्थों के चलते गड़बड़ियां कर मंडल अभिभाषक संघ की गरिमा को ठेस पहुंचा रहे चाहे फिर चुनाव के कार्यकाल की समयावधि बढ़ाने का मामला हो या फिर चुनाव कब करवाया जाना हो या अन्य गड़बड़ियां। यह भी विदित रहे कि मंडल अभिभाषक संघ के चुनाव सदैव 31 मार्च को संपन्न होते थे।
यूं देखा जाए तो आज जो घटनाक्रम मंडल अभिभाषक संघ की बैठक के दौरान देखने को मिला वह कहीं से कहीं तक ठीक नहीं है अध्यक्ष को भी अपनी जवाबदेही समझना चाहिए और सदस्यों को भी यह समझना चाहिए कि अविश्वास प्रस्ताव साधारण सभा में लाया जा सकता है तभी निर्वाचित पदाधिकारी को हटाया जा सकता है और अन्य को जवाब नहीं दी जा सकती है लेकिन नियम कानून कायदे को समझने वाले अभिभाषक की आज आपस मे उलझ चुके हैं