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भाजपा की डबल इंजन सरकार को ट्रिपल इंजन बनाने की तैयारी

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भाजपा की डबल इंजन सरकार को ट्रिपल इंजन बनाने की तैयारी
राजकुमार अग्रवाल
उज्जैन/ भा ज पा ने महापौर प्रत्याशी मुकेश टटवाल के चयन करने में काफी विचार विमर्श कर प्रत्याशी घोषित किया है। स्टेट वार्ता न्यूज़ पोर्टल के द्वारा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश टटवाल को भाजपा प्रत्याशी बनाएगी ऐसी संभावना काफी पहले ही अपने पाठकों को दे दी थी। तब भाजपा कांग्रेस सहित राजनीति में रुचि रखने वाले आमजन को भी यह खबर चौंकाने वाली थी। इसके पीछे जो कारण चर्चाओं में बने थे वह यह कि कभी पार्षद का भी चुनाव लड़ने का अनुभव ना रखने वाले श्री टटवाल को भाजपा कैसे अपना प्रत्याशी बना सकती है। लेकिन कल जब भाजपा ने उन्हें अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया तो स्टेट वार्ता की चौंकाने वाली खबर सच साबित हुई। अब भाजपा की डबल इंजन सरकार ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने की तैयारी में जुट गई है। वैसे भाजपा कांग्रेस के पार्षद प्रत्याशियों के चयन से भाजपा कांग्रेस के प्रत्याशियों की जीत का समीकरण तैयार होगा।
हालांकि कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी महेश परमार पिछले 1 वर्ष से महापौर बनने के सपने संजो कर तैयारी में जुटे नजर आए थे। छात्र राजनीति से अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत करने वाले महेश परमार के लिए अब तक का राजनीतिक जीवन भले ही सफल रहा हो किंतु महापौर की डगर को पार करना इतना आसान नहीं है। वैसे भी कांग्रेश के पिछले बोर्ड में मात्र 14 पार्षद निर्वाचित हुए थे जबकि 54 पार्षदों का नगर निगम बोर्ड है। यानी कि पिछले बोर्ड में भी भा ज पा का पलड़ा भारी था। ऐसे में कांग्रेश के महापौर प्रत्याशी महेश परमार के दम पर कांग्रेश कितने पार्षदों को निर्वाचित करने की नीति पर सफल हो पाएगी यह जन चर्चा का विषय बना हुआ है। वैसे भी कांग्रेसमें यह परंपरा है कि संगठन कभी भी चुनाव नहीं लड़ता प्रत्याशी को ही अपने दमखम पर हार जीत का स्वाद चखना होता है। वहीं भाजपा में प्रत्याशी के पीछे संगठन की ताकत होती है जिसकी वजह से भाजपा के प्रत्याशियों की जीत की राह आसान हो जाती है। महापौर प्रत्याशी महेश परमार की 1 वर्ष की उज्जैन शहर में की गई मेहनत की रंगत क्या रंग लाएगी यह कांग्रेश के पार्षद प्रत्याशियों के द्वारा महापौर के पक्ष में मतदान करवाने पर निर्भर करेगा। पिछले चुनाव में भी यह देखने को मिला था कि कांग्रेस के पार्षद जीत हासिल करने में सफल हो गए थे लेकिन महापौर उनके जीते हुए वार्ड से चुनाव हारे हैं। यू देखा जाए तो भाजपा का पडला भारी है। भाजपा की डबल इंजन सरकार उज्जैन शहर में ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने में जुट गई है।

पूर्व विधायक की राजनीतिक सूझबूझ पर निर्भर करेगा कांग्रेस प्रत्याशियों का भाग्य

कांग्रेस के प्रत्याशी चयन के मामले में यह देखने को आ रहा है कि पूर्व विधायक और पूर्व शहर अध्यक्ष रह चुके प्रदेश कांग्रेश मुखिया के खासम खास की प्रत्याशी चयन में चल नजर आ रही है। उनकी राजनीतिक सूझबूझ पर ही कांग्रेस के पार्षद प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला टिक हुआ नजर आ रहा है। वैसे इन दिनों सीधे तौर पर कोई जवाबदेही इनके पास नहीं है। फिर भी इनका दखल कांग्रेश के भविष्य को उज्जवल बनाने में अहम भूमिका के रूप में देखने को आ रहा है। यह विदित रहे कि महापौर प्रत्याशी महेश परमार का चयन प्रदेश के मुखिया द्वारा सीधे तौर पर लिया गया निर्णय है अगर इस मामले में भी साहब के खासम खास को निर्णय लेने का अवसर मिलता तो शायद महेश परमार महापौर प्रत्याशी घोषित नहीं हो पाते। कांग्रेस से जुड़े हमारे सूत्र बताते हैं कि पार्षद चयन में काफी उलटफेर किया जा रहा है। जीतने वाले प्रत्याशियों को इधर से उधर के वार्डों में भेजने की जुगत पर बाल हट की तरह कार्य कर रहे हैं। ऐसे में उज्जैन नगर पालिक निगम में कांग्रेस का बोर्ड बनने की संभावना क्षीण होती नजर आ रही है।

शहर कांग्रेस अध्यक्ष की बेबसी

नवनियुक्त शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रवि भदोरिया की ताजपोशी के बाद शहर के कांग्रेसी युवाओं में उत्साह का संचार देखने को मिला था। युवाओं को यह उम्मीद थी कि रवि भाई के नेतृत्व में पार्षद का चुनाव वे सहजता से जीत पाएंगे लेकिन जिस तरह का राजनीतिक ड्रामा शहर कांग्रेस कार्यालय में इन दिनों चल रहा है युवाओं की उम्मीद पर पानी फिरता नजर आ रहा है। रवि भदोरिया भी बेबस नजर आ रहे हैं। उनके खुद के कोटे से कितने युवाओं को मौका मिलेगा यह वह खुद भी दावे से नहीं कह सकते। यही वजह है कि वह कांग्रेस प्रत्याशियों के चयन में हस्तक्षेप करने की बजाय महापौर प्रत्याशी महेश परमार के साथ जनसंपर्क करने में अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं।

कांग्रेस नेत्री नूरी खान की धमकी…

कांग्रेस की सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा हासिल कर चुकी महिला कांग्रेस नेत्री नूरी खान को अपने पसंदीदा युवा को अल्पसंख्यक वार्ड से प्रत्याशी घोषित कराने के लिए कांग्रेस छोड़ने की धमकी देना पड़ी थी। तब जाकर एक प्रत्याशी का चयन वह करवा पाने में सफल हो पाई। कांग्रेस से जुड़े सूत्र बताते हैं कि पार्षद पद के दावेदार युवा ने महिला नेत्री को भी चेताया था की उसे वह प्रत्याशी नहीं बनवा पाई तो फिर उनके राजनीतिक संबंध हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगे।

प्रत्याशी चयन में भाजपा की चयन समिति जुटी हुई है

एक एक मोती को चुन कर माला बनाने हेतु भाजपा संगठन के द्वारा संभाग एवं जिला स्तरीय चयन समिति की घोषणा कर उन्हें पार्षद प्रत्याशियों के चयन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिसे भाजपा की चयन समिति के सदस्य बखूबी सूझबुझ के साथ निभा रहे है। लगभग 30 से 35 वार्डों में पार्षद प्रत्याशियों को तैयारी करने की हरी झंडी दे दी गई है। वही शेष बचे वार्ड में एक से अधिक सशक्त दावेदार होने तथा स्थानीय नेता और जनप्रतिनिधियों के दखल की वजह से चयन करने में विश्वास में लेने का कार्य किया जा रहा है। भाजपा सूत्रों के अनुसार शीघ्र ही ऐसे वार्ड के प्रत्याशियों के चैन का कार्य भी सभी की सहमति से निपटा लिया जाएगा।