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*विधायक महेश परमार को महापौर प्रत्याशी बनाए जाना पड़ सकता है कांग्रेस को भारी*

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????️लवनीश अग्रवाल ????️
उज्जैन/ कांग्रेस ने नगर पालिका निगम के चुनाव में महापौर प्रत्याशी के रूप में तराना से विधायक महेश परमार की घोषणा कर भाजपा को चुनौती देने का प्रयास किया है। हालांकि विधायक महेश परमार 1 वर्ष पूर्व से ही महापौर प्रत्याशी के रूप में शहर में सक्रिय होकर राजनीतिक गठजोड़ करने में जुटे हुए है। यह अलग बात है कि उन्हें अपनी सक्रियता का लाभ कितना मिल पाएगा। वैसे भाजपा की ओर से अभी तक महापौर प्रत्याशी की घोषणा नहीं की गई है। यूं देखा जाए तो नगर पालिक निगम के अब तक के समीकरण और शहरी मतदाताओं के रुझान के मुताबिक पड़ला भाजपा का ही भारी नजर आता है। पिछले नगर पालिक निगम के चुनाव पर नजर डाली जाए तो 54 वार्ड मैं कांग्रेस सिर्फ 14 पार्षद जीत कर सिमट गई थी। इस चुनाव में यह आंकड़ा दहाई का अंक छूते हुए नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी विधायक महेश परमार की जीत असंभव प्रतीत होती है। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो कांग्रेश की स्थिति इस चुनाव में किसी भी दृष्टिकोण से जीत कि नहीं है विश्लेषक तो स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए कांग्रेश के पास पर्याप्त बहुमत नहीं होगा कहीं ऐसा ना हो कि कांग्रेस के पार्षदों से ज्यादा निर्दलीय पार्षदों की संख्या इस बार निगम के बोर्ड में देखने को मिले।

*बेरवा समाज को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है*

अब तक नगर पालिक निगम के हुए चुनाव पर निगाह डाली जाए तो महापौर के रूप में कांग्रेश की इंदिरा त्रिवेदी के बाद सीट के आरक्षित हो जाने से कांग्रेसी सोनी मैहर और फिर बीजेपी के एडवोकेट मदनलाल ललावत रामेश्वर अखंड श्रीमती मीना जोनवाल अब तक महापौर विजई हुए हैं। इंदिरा त्रिवेदी को छोड़कर बाकी सभी महापौर बेरवा समाज से रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस के द्वारा बेरवा समाज की उपेक्षा की जाना कहीं ना कहीं इस चुनाव परिणाम में एक बड़ा अंतर बनाएगी। बेरवा समाज की ओर से कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र मरमट सशक्त दावेदार रहे वही पूर्व पार्षद जितेंद्र तिलकर के द्वारा भी महापौर प्रत्याशी की दावेदारी की गई किंतु कांग्रेस आलाकमान के द्वारा बेरवा समाज की उपेक्षा कर विधायक महेश परमार पर भरोसा किया गया अब देखना यह है कि वह किस तरह जीत का परचम लहराएंगे।

*गुटबाजी ले डूबेगी*

छात्र राजनीति से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले महेश परमार जिला पंचायत का चुनाव जीतने के बाद कांग्रेश में इतना बड़ा मुकाम हासिल नहीं कर पाए थे लेकिन जैसे ही उन्हें तराना से विधायक प्रत्याशी बनाया गया और उनके द्वारा जीत हासिल किए जाने के बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के बनते ही श्री परमार ने शहर की राजनीति में जबरदस्त दखल देना शुरू किया जिसके परिणाम स्वरूप प्रदेश के मुखिया के खास पूर्व विधायक बटुक शंकर जोशी सहित पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू और उनके समर्थकों से कई बार टकराव की स्थिति देखने को मिली थी। ऐसे में श्री परमार के महापौर प्रत्याशी बनने पर गुटों में बटी हुई कांग्रेस कितना साथ दे पाएगी यह विचारणीय पहलू है।

*प्रत्याशी घोषित होने के बाद किए दर्शन*

महापौर प्रत्याशी की घोषणा प्रदेश के मुखिया किए जाने के बाद श्री परमार ने आज दोपहर 12:00 बजे के बाद बाबा महाकाल के मंदिर पहुंचकर दर्शन लाभ लिए वही चिंतामन गणेश मंदिर में भी दर्शन कर पूजन पाठ किया