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लक्ष्य को पहले मस्तिष्क फिर कार्य व्यवहार में लाने से सफलता चूमेगी आपके कदम-डाॅ खरे

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*कला एवं विज्ञान के क्षेत्र में रोजगार के अवसर विषय पर व्याख्यानमाला का हुआ आयोजन*

*छतरपुर(मध्यप्रदेश)*।15 फरवरी,2020।स्थानीय शासकीय महाराजा महाविद्यालय छतरपुर के स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा कला एवम् विज्ञान के क्ष्रेत्र में रोजगार के अवसर विषय पर व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया।जिसमें कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ एल एल कोरी ने की।विषय विशेषज्ञ के रूप में संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ एस पी द्विवेदी एवम् वनस्पतिशास्त्र विभाग के प्रोफेसर डॉ पी के खरे ने व्याख्यान दिए।डाॅ एस पी द्विवेदी ने अपने व्याख्यान में संस्कृत का महत्व और रोजगार के अवसरों से छात्र -छात्राओं को अवगत कराते हुए कहा कि संस्कृत संस्कार की भाषा है। यह मानवीय विकास के लिए अंतःकरण का विकास करते हुए सत्य बोलने,माता-पिता व अतिथि को देव समान मानने की भी सीख देती है।वहीं शब्दों का शुद्ध प्रयोग करने की बारीकी संस्कृत भाषा के अध्ययन से ही संभव है ।उन्होंने वर्तमान में शिक्षा के प्रति विद्यार्थियों की कम होती रुचि पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अध्ययन और ज्ञान के क्षेत्र पर अवरोह क्रम लगा हुआ है।वहीं वर्तमान शिक्षा पर कालिदास के कथन को बताते हुए कहा कि पैसे के लिए जो पढ़ता या पढ़ाता है वह व्यापारी है।जो शिक्षा में वर्तमान में विडम्बना का रूप ले चुकी है।उन्होंने कहा कि हमें अपने कर्तव्य में प्रमाद नहीं करना चाहिए।इसके हमेशा गंभीर दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं।इसलिए विद्यार्थी पूर्ण लग्न के साथ पढ़ाई करे और प्राध्यापक भी अन्य कार्यों की बजाय अध्यापन का कार्य पूर्ण ईमानदारी से करें।संस्कृत के क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावना से अवगत कराते हुए बताया कि विद्यार्थी इस विषय से शिक्षा लाइन में,लोक सेवा आयोग परीक्षा में स्कोरिंग विषय,ज्योतिष,कर्मकांड,दर्शन,पंचांग,भारतीय सेना में धर्मगुरु,वेदाचार्य,अनुवादक,पत्रकार आदि के रूप में इसमें अपना कैरियर बना सकते हैं।
महाविद्यालय के वनस्पतिशास्त्र विभाग से विषय विशेषज्ञ के रूप में कार्यक्रम में शामिल डाॅ पी के खरे ने वनस्पतिक जगत में रोजगार की अपार संभावनाओं से विद्यार्थियों को अवगत कराते बताया कि वास्तव में बेरोजगारी नहीं है यह मानसिकता है।रोजगार के विकल्प आपके और समाज के अंदर ही मौजूद होते है।बस उन्हें पहचानने की जरुरत होती है। इसके लिए ही आपके पास ज्ञान का होना अति आवश्यक है।उन्होंने इस पर जड़ी -बूटियों और गुलाब के फूल का उदाहरण देते हुए कहा कि जब तक हम नहीं जानते तो पेड़ो को जंगल के रूप में देखते है और जब उनके बारे में ज्ञान हासिल करते हैं तो उन्हें औषधि का रूप देकर पैसे कमाते हैं और रोजगार हासिल कर लेते हैं।इसी तरह समाज की अवश्यता को समझकर और अपने स्किल का उपयोग कर कई रोजगार निर्मित किए जा सकते हैं।सरकारी और निजी तौर पर भी शिक्षक के रूप में,पर्यावरण संरक्षक के रूप में,औषधीय कम्पनियों,नर्सरी, जैव प्रौद्योगिकी फार्मा,खाद्य कम्पनियों,उन्नत कृषि उत्पादन, भारतीय वन सेवा,भारतीय कृषि एवं अनुसंधान परिषद आदि में भी कैरियर की असीम संभावनाएं हैं।
विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए उन्होंने कहा कि आपके केवल डिग्री प्राप्त करने पर केन्द्रित होने की बजाय आपको अपनी डिग्री अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए केन्द्रित करनी चाहिए।रोजगार पाने के लिए जरूरी है कि पहले कैरियर या रोजगार मस्तिष्क में आना चाहिए और फिर कार्य व्यवहार में भी आना चाहिए।तब सफलता आपके कदम चूमेगी और पैसे भी आपके ऊपर बरसेंगे।
प्राचार्य डाॅ एल एल कोरी ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि विज्ञान, कला और वाणिज्य के क्षेत्र में रोजगार पाने की अपार संभावनाएं है।जिसे विद्यार्थियों को अपनी क्षमता और बुद्धिमत्ता का उपयोग कर हासिल करना चाहिए।कार्यक्रम का संचालन प्लेसमेंट अधिकारी प्रोफेसर एस के छारी ने किया।विषय प्रवर्तन एवं आभार डॉ जे पी शाक्य द्वारा किया गया।इस कार्यक्रम के दौरान संस्कृत की सहायक प्रोफेसर अंकिता यादव,प्रकोष्ठ के सदस्य भारत सेन, मदन साहू,अभय साहू सहित बड़ी संख्या में छात्र -छात्रा उपस्थित रहे।