- इंदौर, शहर

कवि और शायरों ने लूट लिया दिलों को

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भारतीय पत्रकारिता महोत्सव की सांस्कृतिक बेला में

आनंद जैन द्वारा
इंदौर/ मध्य प्रदेश स्टेट प्रेस क्लब द्वारा आयोजित तीन दिवसीय भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के सांध्यकालीन सांस्कृतिक प्रथम दिवस शुभारम्भ यादगार कवि सम्मेलन और मुशायरे के साथ हुआ। पहली प्रस्तुति बरेली से पधारे ख्यातनाम शायर शारिक कैफ़ी ने कहा

” हमे पता है पर्चा बुरा नही आया
मगर तुम्हारा पढ़ाया हुआ नही आया”

” ख़ुद को इतना दुनियादार नही कर सकते
आधे दिल से पूरा प्यार नही कर सकते”

मौत ने सारी रात हमारी नब्ज़ टटोली
मरने का ऐसा माहौल बनाया हमने”

श्रोताओं की भरपूर दाद के बाद मंच से रूबरू हुईं देश विदेश की ख्यात शायरा शबीना अदीब जिन्होंने पढ़ा

“जो रईस होते हैं खानदानी मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना
तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई नई है”

इनके पश्चात आये अपने ही मज़ाहिया अंदाज़ के लिए पहचाने जाने वाले मशहूर शायर डॉ पॉपुलर मेरठी जिन्होंने चुटीले अंदाज़ में श्रोताओं को गुदगुदाया उन्होंने पढ़ा

” अजब नही है जो तुक्का भी तीर हो जाये
फटे जो दूध तो फिर वो पनीर हो जाये
मवालियों को न देखा करो हिक़ारत से
न जाने कौन सा गुंडा वज़ीर हो जाये

एक बीवी कई साले हैं, ख़ुदा ख़ैर करे
खाल सब खींचने वाले हैं, ख़ुदा ख़ैर करे

मेरा सुसराल में कोई भी तरफ़दार नही
उनके भी होठों पर ताले हैं , ख़ुदा ख़ैर करे

डॉ मेरठी के पश्चात मंच पर थे गाज़ियाबाद से पधारे गीत विधा के अद्भुत हस्ताक्षर डॉ विष्णु सक्सेना जिन्होंने पढा

प्यास बुझ जाए तो शबनम भी ख़रीद सकता हूँ
ज़ख्म मिल जाये तो मरहम ख़रीद सकता हूँ

ये मानता हूं के मै दौलत नही कमा पाया
मगर तुम्हारा हर इक ग़म खरीद सकता हूँ

रेत पर नाम लिखने से क्या फ़ायदा
एक आई लहर कुछ बचेगा नही

तुमने पत्थर सा दिल हमको कह तो दिया
पत्थरों पर लिखोगे मिटेगा नही

अंत मे काव्य मंच के सर्वाधिक चर्चित नाम हिंदी गीतों के लोकप्रिय डॉ कुंवर बेचैन आये और उन्होने कहा

उसने मेरे छोटेपन की इस तरह इज़्ज़त रखी
मैने दीवारें उठाई उसने इनपर छत रखी
क्यूं हथेली की लकीरों से हैं आगे उंगलियां
रब ने भी किस्मत से आगे आपकी मेहनत रखी

किसी भी काम को करने की चाहें पहले आती हैं
अगर बच्चे को गोदी लो तो बाहें पहले आती हैं

हर इक कोशिश का दर्ज़ा कामयाबी से भी ऊंचा है
के मंज़िल बाद में आती हैं राहें पहले आती हैं।
कार्यक्रम का संचालन विनीत शुक्ला ने किया और देर रात तक चला ये ग़ज़ल और गीत का सिलसिला शहर के श्रोताओं के लिए यादगार रहा।