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पुजारी और नियमित दर्शनार्थी के बीच विवाद गहराने से  हरसिध्दि मंदिर की हो रही छवि धूमिल

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तहसीलदार रुपाली जैन के द्वारा इस प्रकरण की संपूर्ण जानकारी जिला कलेक्टर को अब तक क्यों नहीं दी गई?

उज्जैन/ राजा विक्रमादित्य की आराध्य देवी 52 शक्तिपीठ में मुख्य शक्ति पीठ 10 विधाओं से परिपूर्ण मां हरसिद्धि मंदिर में दर्शन व्यवस्था को लेकर पिछले एक महीने से चल रहा विवाद जिला प्रशासन के मुकदर्शक बने होने से  गहराता चला जा रहा है। आज भी कुछ नियमित दर्शनार्थी महिला ने पत्रकारों से रूबरू होकर मंदिर के पुजारी और प्रशासनिक अधिकारी तथा सुरक्षा कर्मियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
अखिल भारतीय हिंदू महासभा की महिला इकाई जिला उपाध्यक्ष चंद्रकांता नागर कुछ महिलाओं को लेकर सुदामा नगर स्थित वनखेड़े हनुमान मंदिर परिसर में पत्रकारों से रूबरू होते हुए बताया कि मंदिर के पुजारी राजू गुरु उर्फ गुड्डा और एक अन्य राजू गुरु पुजारी के द्वारा नियमित दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु महिला के साथ अभद्र व्यवहार सुरक्षा कर्मियों से करवाया जा रहा है। पत्रकारों को महिलाओं ने यह भी बताया कि शाशकीय पुजारी राजू गुरु उर्फ गुड्डा गुरु चरित्रहीन हैं और जुआरी भी है। श्रीमती नागर का कहना है कि पुजारी राजू गुरु ने मंदिर परिसर में बने अन्य छोटे मंदिरों को ₹300 से लेकर ₹500 तक प्रतिदिन के हिसाब से लेकर अन्य पुजारी गण को सेवा पूजा दे रखी है। वही दर्शनार्थियो से दान की राशि दान पेटी में ना डलवाई जाकर थाली में डलवाई जाती है। जिसे पुजारी परिवार अपने उपयोग में ले लेता है। महिलाओं ने यह भी आरोप लगाया कि दीपमालिका में भी पुजारी परिवार बेईमानी कर रहा है और तेल चोरी करने का आरोप हम महिला दर्शनार्थियो पर लगाया जा रहा है। सभी महिलाओं ने राजू गुरु उर्फ गुड्डा के चरित्र से संबंधित प्रमाण पत्रकारों के समक्ष रखें जिसमें जुआं एक्ट में हुई जमानत के अलावा फूलचंद नामक व्यक्ति को भी पत्रकारों के समक्ष खड़ा किया और बताया कि उनके परिवार में राजू गुरु का आना-जाना है और वह पति-पत्नी के बीच में झगड़े का कारण भी बना हुआ है मंदिर में माता जी को चढ़ाई गई साड़ियां वह इन्हें देकर विवाद का कारण बन चुका है। चंद्रकांता नागर के अनुसार पुजारी परिवार पर मानहानि का मुकदमा लगाए जाने की तैयारी की जा रही है ।
यह विदित रहे की पूर्व में भी इस तरह के आरोप प्रत्यारोप दोनों पक्ष के द्वारा पत्रकार वार्ता में लगाए गए हैं।
इस मामले में जो सवाल उठ रहा है वह यह की मंदिर प्रशासक  तहसीलदार रुपाली जैन क्यों चुपी सादे हुए हैं। उनके द्वारा मंदिर में चल रहे इस विवाद को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी देने के साथ ही रिपोर्ट बनाकर देना चाहिए जिस समय रहते वरिष्ठ अधिकारी दोनों पक्ष के बीच चल रहे वाद विवाद को समझ  कर कोई निर्णय कर सके। प्रशासन की लापरवाही की वजह से मंदिर की प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है। यह विवाद अब चारित्रिक हत्या में बदल चुका है। समय रहते वरिष्ठ अधिकारियों ने कोई संज्ञान नहीं लिया तो किसी दिन कोई बड़ी अप्रिय घटना भी घट सकती है।