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किसी दूसरे के नाम से बैंक से ऋण हासिल करने वाले आरोपियों को 2 वर्ष की सजा

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उज्जैन /न्यायालय प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट, सोहन लाल भगोरा, महिदपुर जिला उज्जैन के न्यायालय द्वारा आरोपीगण जगदीश पिता सुरेसिंह निवासी ग्राम कथारिया तहसील महिदपुर मदनलाल पांचाल पिता कालूराम निवासी ग्राम लाखाखेड़ी जिला उज्जैन को धारा 419,420,468,471 भादवि में प्रत्येक आरोपीगण को 02-02 वर्ष का सश्रम कारावास एवं कुल 8,000/- रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।
अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी मुकेश कुमार कुन्हारे ने अभियोजन घटना अनुसार बताया कि 19 जून 2001 को फरियादी नरेंद्र नागर ने थाना महिदपुर पर लिखित आवेदन प्रस्तुत किया कि इंदौर-उज्जैन क्षैत्रिय ग्रामीण बैंक शाखा महिदपुर से 20 जनवरी 1999 को स्वर्गीय सुरेसिंह तथा भौमसिंह ने संयुक्त रूप से 2,80,000/- रूपये का ऋण सुविधा ट्रेक्टर ट्राली एवं अन्य कृषि उपकरण क्रय करने हेतु प्राप्त किया था। सुरेसिंह और भौमसिंह इस ऋण की सुविधा के लिए जुझार सिंह की जमानत दिलवाई थी। बैंक के नियमानुसार स्वर्गीय सुरेसिंह पिता प्रहलाद सिंह, भौमसिंह पिता चैनसिंह व जुझारसिंह ने उपरोक्त ऋण सुविधा के लिए 20 अक्टूबर 1999 को बैंक के नियमानुसार लेख संपादित किया एवं भूमि बंधक कर सुरेसिंह एवं भौमसिंह ने ऋण प्राप्त किया, जिसकी जमानत जुझारसिंह ने दी थी। सुरेसिंह का स्वर्गवास होने पर बैंक के अधिकारीगण ने उसके वारिसान से लेख संपादित कराने हेतु गये और बैंक की ओर से सूचना पत्र 31 अक्टूबर 2000 को देकर उपरोक्त कर्ज की रकम अदा करने की मांग की। सूचना पत्र प्राप्त होने के पश्चात जुझारसिंह ने19 दिसंबर 2000 को पत्र दिया, जिसमे बताया गया कि उसने कोई जमानत नहीं दी। जिस पर से बैंक के अधिकारियों ने जानकारी प्राप्त की तब ज्ञात हुआ कि जमानतदार जुझार सिंह के स्थान पर आरोपी मोहन सिंह पिता जरेसिंह ने अपना फोटो लगाकर हस्ताक्षर किए। आरोपी भौमसिंह ने जो ऋण लिया था उसमें भौमसिंह पिता चैनसिंह के स्थान पर आरोपी जगदीश ने अपना फोटो लगाकर नकली भौमसिंह बनकर हस्ताक्षर कर दस्तावेज निष्पादित करवाये। आरोपी मदनसिंह ने बैंक में जगदीश की पहचान भौमसिह के रूप में की थी। फरियादी की रिपोर्ट पर थाना भाटपचलाना द्वारा आरोपीगण के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध कर आवश्यक अनुसंधान पश्चात् न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया था। न्यायालय द्वारा अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपीगणों को दंडित किया गया।
नोटः- अभियुक्त मोहन सिंह पिता जरेसिंह जो वर्तमान में फरार है।
प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी देवेन्द्र जोशी, सहायक जिला अभियोजन अधिकारी, जिला उज्जैन द्वारा की गई।।