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मोहब्बत की मिठास के साथ सजी शायरी की महफ़िल

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जूना रिसाला में ईद मिलन पर मुशायरा

इंदौर/ गर्मी के चलते मौसम के मिजाज़ के साथ ईद मिलन समारोह अभी तक चल रहें हैं| इंदौर में जूना रिसाला उर्दू अदब का गहवारा रहा है। शीरखुरमें और सिंवइयों की मोहब्बत भरी मिठास के साथ शायरी की महफ़िल वही का तौर तरीका हो सकती है।माइनॉरिटी यूथ ग्रुप के रेहान शेख़ ने बताया मोबाइल के दौर में भी लाइव मुशायरा सुनने से जोड़ने के लिए महफ़िल सजाई।जिसमें न सिर्फ मुकामी शौरा बल्कि बाहर से तशरीफ़ लाये। शायरों ने अपने कलाम पेश किये | पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता,खुरासान पठान जैसी राजनितिक हस्तियों और सामाजिक शख्सियतों के बीच शहर के बुज़ुर्ग शायर जनाब नासिर इंदौरी साहब की सदारत और उन्हीं के चुनिंदा नातिया कलाम से महफ़िल की शुरुआत हुई । देवास से तरन्नुम के शायर अज़ीम देवासी जो लगातार इंदौर में उम्दा पढ़ रहे हैं।मुलाहिज़ा फरमाएं उनके अशआर-
गुल हो नायाब तो गुलदान भी आ जाते हैं /झोपड़ी में कभी सुलतान भी आ जाते हैं। दोस्त होकर भी तुम न आये अयादत को मेरी / ऐसे हालात में अंजान भी आ जाते हैं ।उनका ये शेर ख़ूब पसन्द किया गया-
मेरी आँखों से गलतफहमी के जाले निकले / सारे दुश्मन ही मेरे चाहने वाले निकले। देर रात तक चले मुशायरे में जहां कुछ मुक़ामी शोअरा और नवमश्क़ शायरों ने अपना कलाम सुनाया ।
देवास से ही आये एडवोकेट जावेद अंसारी साहब के शागिर्द शायर सलाहउद्दीन सलीस ने पढ़ा- बस इसी बात का हमको गुमान है यारों /शहद मिसरी सी मीठी ज़ुबां है यारों।
इंदौर में बड़ी तेज़ी से अपना नाम बना रहे शरीफ कैफ ने पढ़ा- सूरज सितारे चाँद का नशा उतार दूँ / जुगनू के साथ जो कभी दो पल गुज़ार दूँ ।
शरीफ कैफ़ को दोबारा बुलाकर ख़ूब सुना गया,उन्होंने सुनाया-ये उनकी दुआओं का असर देख रहा हूँ / सूखी हुई शाख़ों पे समर देख रहा हूँ | लगता है क़यामत मेरे नज़दीक खड़ी है / इंसान में इंसान का डर देख रहा हूँ ।
शरीफ कैफ़ ने दिलों को जोड़ने का पैग़ाम भी दिया-
कर रहे हैं हम सभी को जोड़ने की कोशिशें / टूट जाऐंगी तुम्हारी तोड़ने की कोशिशें।
रेज़ा रेज़ा होके भी सच्चाई वो बतलाएगा / रायगा (व्यर्थ) जाएगी शीशा तोडनें की कोशिशें।
और मैं करता भी क्या अपने दीये के वास्ते / कर रहा हूँ रूख़ हवा का मोड़ने की कोशिशें।
देर रात तक चले मुशायरे में जहां कुछ मुकामी शायरों और नवमश्क़ शायरों ने अपना कलाम से ख़ूब समां बांधा। मुशायरे की निज़ामत जावेद अहमद शाह ने बेहतरीन इंतेखाब और अपने लाजवाब अंदाज़ से सब को बांधें रखा।