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आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज मैं लापरवाही की वजह से मरीज हो रहे परेशान

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उज्जैन/ सुप्रसिद्ध दानवीर दीपचंद गाड़ी के द्वारा दिए गए दान से उज्जैन शहर में संचालित हो रहे आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में लापरवाही की वजह से मरीजों के हाल बेहाल हैं और उनकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है। हाल ही में जिले की तराना तहसील से एक मरीज को 2 दिन पहले हड्डी फैक्चर हो जाने पर यहां भर्ती कराया गया था जिसका आज ऑपरेशन किया जाना था। मरीज को ऑपरेशन थिएटर तक ले जाने के लिए यहां पर ना तो कोई वार्ड वाय उपलब्ध था और ना ही कोई जवाब दे अधिकारी जिसकी वजह से सुबह 8:00 बजे होने वाला ऑपरेशन दोपहर में 3:00 बजे तक संभव नहीं हो पाया।
इस संबंध में शहर के समाजसेवी राजेश अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके परिचित दीपक गर्ग निवासी तराना की कुल्ले की हड्डी फैक्चर हो जाने से ऑडी गाड़ी मेडिकल कॉलेज में उपचार हेतु भर्ती कराया गया था। 2 दिन से भर्ती मरीज आयुष्मान कार्ड धारी है उसके बावजूद भी उससे बाजार से दवा मंगवाई जा रही है देर रात 11:00 बजे भी दवा मंगवाई गई लेकिन उसका उपयोग नहीं किया गया वही आज सुबह 8:00 बजे ऑपरेशन किया जाना था जिसके लिए वार्ड बॉय उपलब्ध नहीं थे उपस्थित नर्स स्टाफ से जब वार्ड बाय की बात कही गई तो उनका कहना था कि यह व्यवस्था मरीज के परिजनों को स्वयं करना होती है। नर्स के द्वारा यह भी बताया गया कि नीचे की मंजिल से स्ट्रक्चर लेकर आओ और मरीज को ऑपरेशन हेतु थर्ड फ्लोर पर लेकर जाना है जब इसका विरोध मरीज के परिजन ने यह कहते हुए करा कि अटेंडर के रूप में अकेला है ऐसे में कैसे संभव है तब नर्स के द्वारा यह जवाब दिया गया कि ऑपरेशन आपको ऑपरेट करवाना है तो आपको ही यह व्यवस्था देखना होगी हम इसमें आपकी कोई मदद नहीं कर सकते। श्री अग्रवाल ने इस घोर लापरवाही की जानकारी मीडिया को देते हुए कहा कि मरीज के पलंग पर भी सफाई नहीं होने से मक्खियां भिन्न-भिन्न आ रही है। वही सुबह 8:00 बजे ऑपरेशन थिएटर में ले जाना था लेकिन अटेंडर पर्याप्त नहीं होने से 11:00 ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया इसके बावजूद भी ऑपरेशन दिन में 3:00 बजे बाद किया गया। मौके पर पहुंचे पत्रकारों ने देखा कि अन्य मरीज भी इसी तरह की समस्या से जूझ रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। जब इस संबंध में पत्रकारों ने वहां उपस्थित ड्यूटी रत नर्स से चर्चा करनी चाही तो उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया लेकिन जब आयुष्मान कार्ड को लेकर चर्चा की गई तो उनका कहना था कि ऑपरेशन के पहले का सभी खर्च मरीज को वहन करना होता है वही ऑपरेशन के 5 दिन के बाद की दवा गोली का खर्च भी मरीज को अपनी जेब से करना होता है आयुष्मान कार्ड से केवल ऑपरेशन और 5 दिन का खर्च वहन किया जाता है। कुल मिलाकर दान के पैसे से संचालित आरडी गाड़ी मेडिकल कालेज मैं और अव्यवस्थाओं का बोलबाला देखने को मिला। पत्रकारों के द्वारा जब मेडिकल कॉलेज के सी एच एम ओ से चर्चा करनी चाहिए तो वे अपना केविन छोड़कर चले गए।