इंदौर/ श्रावक की वृत्तियां साथ जाती है स्वर्ण आभूषण नहीं , मुनि की चर्या बड़ी कठिन होती है वह अनुकूलता प्रतिकूलता दोनों में ही संयम और समता रखते हैं श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र पंचायती मंदिर छावनी के तत्वावधान में सन्मति स्कूल में आयोजित पंचकल्याणक महा महोत्सव के अवसर पर मुनि श्री आदित्य सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में अपने उद्गार व्यक्त किए पीयूष भैयाजी ने कहा कि पत्थर भी एक इंद्रिय जीव है उसका भी अपना पुण्य होता है उसी अनुसार कोई पत्थर मूर्ति बन जाता है और कोई जमीन पर लगाया जाता है आप जो सोचते हैं उन वर्गणाओं का प्रभाव स्वयं एवं अन्य अजीव दीवारों पर भी पड़ता है आप अपने भाव अनुसार ही घर का माहौल बना सकते हैं यदि प्रसन्न है तो परिवार का प्रत्येक सदस्य प्रसन्नता से भरा होगा
आज संवेदनशीलता घटती जा रही है प्रतिदिन हजारों जीवों का घात होता है तब कोई खबर नहीं बनती यदि मानव के 36 टुकड़े कर दिए जाते हैं तो बड़ी खबर बन जाती है , हमें जीव मात्र के लिए समान संवेदना रखने की आवश्यकता है आचार्य गुरुदेव ही नहीं , यह पूरी सृष्टि आपको निरंतर स्वाध्याय कराती रहती है आवश्यकता है एकाग्रता से जानने और समझने की।
प्रवक्ता ज्योतिष आचार्य एम के जैन ने बताया कि सोमवार को प्रातः राजकुमार आदिनाथ के वस्त्र त्याग कराकर मुनिश्री आदित्यसागरजी ने दीक्षा विधि एवं राजकुमार आदिनाथ से मुनि आदिनाथ बनने पर उन्हें इच्छुरस ( गन्ने का रस ) से आहार चर्या की विधि हजारों श्रावकों के साथ संपन्न की दोपहर को विशाल मंच पर समवसरण की रचना की गई तथा मुनि आदित्यसागरजी की देशना के पूर्व राष्ट्रीय जैन ज्योतिष वास्तु अनुसंधान संगठन की राष्ट्रीय अध्यक्ष आभा जैन , संरक्षक एमके जैन , आलोक जैन , मनोज जैन , एसके जैन नीलू जैन एवं नेहा जैन ने श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया मंगलवार को प्रातः 5:30 बजे अभिषेक 7:15 बजे भगवान आदिनाथ का मोक्ष कल्याणक 8:00 बजे मुनिश्री की मंगल देशना 9:00 बजे हवन अनुष्ठान 10:00 बजे भगवान की शोभा यात्रा सन्मति स्कूल से अतिशय क्षेत्र श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर छावनी जाएगी 11:00 इन प्रतिमाओं की स्थापना होगी एवं अतिशय कारी पार्श्वनाथ भगवान के प्रथम महा मस्तकाभिषेक होंगे।