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सेवा धाम में पिता को देखते ही दौड़कर गले से लिपट गया मनोरोगी पंकज

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*महाकाल की भक्ति और सेवाधाम का सोशल मीडिया को देख 800 किलोमीटर दूर से खिंच लाई पिता की करूणा*

*सुधीर भाई और सेवाधाम को बहुत-बहुत धन्यवाद देते हुए पंकज का किया पुनर्वास*

उज्जैन /उत्तरप्रदेश के रामसिंहपुरा सोरो जिला कासगंज निवासी खेत में मजदूरी करने वाले श्रीकृष्ण को पता नही था कि उज्जैन बाबा महाकाल की नगरी में आकर उसे अपने पांच माह पहले गुम हुए मानसिक रोग से ग्रस्त बालक पंकज को पाकर बाबा का आर्शीवाद प्राप्त होगा। उसकी खुशी का ठिकाना नही रहा जब वह अनजाने में बाबा महाकाल के दर्शनों पश्चात ‘अंकित ग्राम’, सेवाधाम आश्रम, उज्जैन के संस्थापक सुधीर भाई गोयल ‘‘भाईजी’’ के फेसबुक को देखकर सुबह-सुबह आश्रम के मुख्य द्वार पर पहुचे एवं बहुत पुराने फोटो को दिखाते हुए कहने लगे की मेरा बेटा पांच माह पूर्व कहीं चला गया, उसे अनेक जगह ढूंढते-ढूंढते अंतिम प्रयास में यहां पहुंचे है तब उसकी खुशी का ठिकाना नही रहा यह सुन की उसका गुम हुआ बेटा पंकज सेवाधाम में है।

सेवाधाम आश्रम संस्थापक सुधीर भाई गोयल ने बताया कि सुबह-सुबह आश्रम के मुख्य द्वार पर उत्तरप्रदेश के लोग पूछताछ के लिए आए और कहा कि फेसबुक पर जानकारी प्राप्त हुई थी तो गुरूजी के दर्शन भी हो जाऐंगे और बाबा महाकाल का आर्शीवाद होगा तो मेरे यहां मजदूरी करने वाले श्रीकृष्ण के मनोरोगी बालक की जानकारी भी ले लेंगे।

पंकज के बारे में यह है कि मानसिक रूप से विक्षिप्त, जीर्णशीर्ण अवस्था में दिनांक 29.07.2022 को हीरा मील की चाल रोड़ पर विक्षिप्त बालक की जानकारी प्राप्त होते ही चाईल्ड लाईन ने थाना देवास गेट पर सूचित कर बालक को बाल कल्याण समिति उज्जैन में प्रस्तुत किया। बाल कल्याण समिति ने बालक को सेवाधाम आश्रम द्वारा संचालित श्रीरामकृष्ण बालगृह मंे प्रवेश हेतु भेजा। प्रवेश के समय बालक मानसिक रूप से विक्षिप्त था, उसके हाथों में घाव हो रहे थे, वह अपने बारे में कोई भी जानकारी देने में असमर्थ था। बालक के पांच माह रहते हुए अनेक परिवर्तन हुए, उसकी लगातार कांउसलिंग की गई जिससे वह खुल कर अपने बारे में बताने लगा, उसने अपना नाम पंकज बताया और उत्तरप्रदेश का रहने वाला बताया कि मैं टेªन में बैठा था और गिर गया और कैसे उज्जैन आ गया पता नही किन्तु उज्जैन में मेैंने अपने हाथ में महाकाल लिखवाया यह पता है। वह आश्रम में रहते हुए सेवाभाव जागृत हुए एवं अपना दैनिक कार्य करते हुए वृद्धजनों की सेवा करने लगा।

दिनांक 09.11.2022 को अपने पिता को सेवाधाम में देख वह दौड़ते हुए पिता के गले लग गया एवं बहुत ही खुश हुआ कि मेरे पिता मुझे लेने आ गए, आज पिता ने बालक को बोलते देख सुधीर भाई को धन्यवाद किया कि आपने मेरे घर से भी ज्यादा अपने बालक समान सुरक्षा दी, पूरी जिन्दगी में मैंने इतने अच्छे तरीके से बात करते नही देखा, उसका पूर्ण जीवन की परिवर्तन हो गया। मैं आपका जिन्दंगी भर आभारी रहूंगा, साथ में आए पंडित पवन कुमार समाधिया यह देख भाव विभोर हो गए और कहा कि बाबा महाकाल का आर्शीवाद प्राप्त हुआ कि मेरे द्वारा यह कार्य सम्पन्न हुआ, बाबा महाकाल के दर्शनों के हम आ रहे थे तो मेरे खेतों पर कार्य करने वाले श्रीकृष्ण को हम साथ में लेकर आ गए यह सोच की दर्शनों के साथ यदि बालक पंकज का पता चल जाए तो यह मन में कामना लेकर आए थे जो बाबा महाकाल वन में बिल्वकेश्वर मंदिर के समीप स्थित सेवाधाम मानवस सेवा तीर्थ में आकर पूर्ण हुई। मैं सुधीर भाई के कार्यों को प्रणाम करता हूं कि आज की कलयुगी दुनिया में ऐसे भी संत स्वरूप विद्यमान है जो अनाथों को अपना नाम देकर अपने पुत्र-पुत्रियों, भाई-बहनों और पिता-माता समाज 700 से अधिक पीड़ितों की सेवा का कार्य कर रहे है।