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अ.भा.कालिदास समारोह के शुभारम्भ के लिये राष्ट्रपति को आमंत्रित किया जायेगा

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समारोह गरिमामय एवं भव्यता के साथ मनाया जायेगा, स्थानीय समिति श्रेष्ठतम कार्यक्रमों को पूरा कराने का प्रयास करेगी, कलश यात्रा में आम जनमानस के साथ-साथ समिति के सदस्य भी उपस्थित रहेंगे, कालिदास समारोह का शुभारम्भ 4 नवम्बर को और 10 नवम्बर को समापन होगा*

उज्जैन/ मध्य प्रदेश शासन के तत्वावधान में विक्रम विश्वविद्यालय एवं कालिदास संस्कृत अकादमी द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कालिदास समारोह 4 नवम्बर से 10 नवम्बर तक आयोजित किया जायेगा। समारोह का शुभारम्भ 4 नवम्बर को होगा और 10 नवम्बर को समारोह का समापन होगा। संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास व धर्मस्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर की अध्यक्षता मैं कालिदास संस्कृत अकादमी स्थित अभिनव नाट्यगृह में स्थानीय समिति की बैठक सम्पन्न हुई। मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने इस अवसर पर कहा कि अखिल भारतीय कालिदास समारोह के शुभारम्भ के लिये वे स्वयं राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित करने एवं स्वीकृति प्राप्त करने के लिये जायेंगी। समारोह गरिमामय एवं भव्यता के साथ मनाया जायेगा। स्थानीय समिति श्रेष्ठतम कार्यक्रमों को पूरा कराने का पूरा प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि कलश यात्रा में आम जनमानस के साथ-साथ समिति के सदस्य और सदस्य के आसपास रहने वाले पड़ौसी को भी साथ लेकर शामिल होने का अनुरोध किया है। कलश यात्रा में जो सदस्य उपस्थित न होते हैं तो वे स्वेच्छा से स्थानीय समिति से अलग हो जायें।

संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने कहा कि अखिल भारतीय कालिदास समारोह की भव्यता लाने के लिये शासन-प्रशासन पूरी क्षमता के साथ काम करेगा। उन्होंने कहा कि नगर निगम के वार्ड में समितियों का गठन कर समारोह में नगरवासियों को भी जोड़ा जाये। कालिदास संस्कृत अकादमी परिसर के सौन्दर्यीकरण एवं भवन आदि की भव्यता के लिये भी प्रयास किया जायेगा। इस पर भी संस्कृति विभाग चिन्ता कर रहा है। कवि कालिदास ने प्राकृतिक सौन्दर्य को सजीव किया है। उन्होंने सांस्कृतिक मूल्यों को संजोया है। इसलिये महान कवि कालिदास के समारोह का गौरव बढ़ाने के लिये हरसंभव प्रयास किया जाता रहा है और आगे भी किया जायेगा। इस बार समारोह के प्रारम्भ में निकलने वाली कलश यात्रा को और अधिक विराट रूप देने का प्रयास किया जायेगा। कलश यात्रा में अधिक से अधिक जनमानस को जोड़ने का प्रयास होगा।

बैठक में महापौर श्री मुकेश टटवाल ने कहा कि अखिल भारतीय कालिदास समारोह में बाहर से आने वाले महत्वपूर्ण अतिथियों का सम्मान की व्यवस्था उज्जैन नगर पालिक निगम की ओर से की जायेगी। समारोह में आमजन के साथ-साथ स्कूली एवं महाविद्यालयीन छात्र-छात्राएं और युवा जुड़ें। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति श्री अखिलेश कुमार पाण्डेय ने विश्वविद्यालय की ओर से भी समारोह में विविध प्रकार के कार्यक्रम आयोजित कर सहभागिता की जाती है।

बैठक के प्रारम्भ में स्थानीय समिति के सदस्यों ने अपने-अपने महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए पं.आनंदशंकर व्यास ने कहा कि समारोह अन्तरराष्ट्रीय स्वरूप में होना चाहिये। महाकाल मन्दिर के समीप चल रहे स्मार्ट सिटी योजना के अन्तर्गत कार्यों के लोकार्पण के लिये संभवत: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आने की संभावना है। अगर प्रधानमंत्री लोकार्पण के लिये आते हैं उसी समय उनके हाथों अखिल भारतीय कालिदास समारोह का शुभारम्भ होना चाहिये। श्री शिव चौरसिया ने सुझाव दिया कि हर साल समारोह के पूर्व स्थानीय समिति के सदस्यों के सुझाव लिये जाते हैं, पर उन्हें पूर्णत: अमल में नहीं लाया जाता है। समारोह का धीरे-धीरे स्तर भी सिकुड़ता चला जा रहा है। समारोह के शुभारम्भ एवं समापन में शीर्ष व्यक्तियों को आमंत्रित किया जाना चाहिये। इसी तरह एक सदस्य ने अपने सुझाव देते हुए कहा कि समारोह को संस्कृत भाषा के अलावा अन्य चार भाषाओं क्रमश: मालवी, निमाड़ी, बघेली एवं बुंदेलखंडी में भी आयोजित किया जाना चाहिये। इसी तरह एक सदस्य ने कहा कि कालिदास समारोह के साथ-साथ हस्त शिल्प मेले का भी आयोजन किया जाता है। हस्त शिल्प मेले में अत्यधिक ध्वनि के व्यवधान से समारोह के अन्य कार्यक्रम में बाधा उत्पन्न होती है। इस पर भी विचार किया जाना चाहिये। श्री दिनेश दिग्गज ने कहा कि समारोह में अधिक से अधिक लोगों को जोड़ा जाना चाहिये। श्री रूप पमनानी ने कहा कि हर साल अखिल भारतीय कालिदास समारोह की स्थानीय समिति के सदस्यों के द्वारा अपने-अपने महत्वपूर्ण सुझाव तो देते हैं, परन्तु कुछ ही लोग समारोह के प्रारम्भ में निकलने वाली कलश यात्रा और समारोह के अन्य कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति नगण्य रहती है। उन्होंने सम्माननीय सदस्यों से आग्रह किया है कि वे कार्यक्रमों से अनिवार्य रूप से जुड़ें। इस पर संस्कृति मंत्री ने भी सहमति जताते हुए स्थानीय समिति के सदस्यों से अनुरोध किया कि वे समारोह के प्रारम्भ में निकलने वाली कलश यात्रा और समारोह के कार्यक्रमों में अपनी सहभागिता अनिवार्य रूप से होना चाहिये। पत्रकार श्री निरूक्त भार्गव ने अपना महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा कि सदस्यों के सुझाव देने के बावजूद भी हर साल समारोह की समीक्षा नहीं होती है, जो कि होना चाहिये। अतिथि किस स्तर के होंगे, यह भी तय कर दिया जाना चाहिये। कार्यक्रमों का निर्णायक मण्डल द्वारा निर्णय पारदर्शिता से होना चाहिये। पक्षपात नहीं होना चाहिये। समारोह में महर्षि पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय को भी जोड़ा जाना चाहिये। स्थानीय समिति की एक बार ही बैठक न होकर दोबारा भी बैठक होकर उसकी समीक्षा की जाना चाहिये। इसी तरह पत्रकार श्री महेन्द्रसिंह बैस ने भी अपना महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा कि महाकवि कालिदास के जीवन पर डॉक्यूमेंट्री समारोह में दिखाई जाना चाहिये।

अखिल भारतीय कालिदास समारोह के एक दिन पूर्व 3 नवम्बर को कलश यात्रा निकाली जायेगी। समारोह के प्रथम दिवस 4 नवम्बर को संस्कृत नाटक, द्वितीय दिवस 5 नवम्बर को शास्त्रधर्मी शैली पर आधारित एवं पारम्परिक शैली से नृत्य नाटिकाएं, तृतीय दिवस 6 नवम्बर को हिन्दी नाटक, चतुर्थ दिवस 7 नवम्बर को लोकशैली/पारम्परिक शैली के कार्यक्रम, पंचम दिवस 8 नवम्बर को शास्त्रधर्मी शैली केनृत्य, षष्ठ दिवस 9 नवम्बर को शास्त्रीय शैली में गायन के कार्यक्रम एवं सप्त दिवस एवं समारोह का समापन 10 नवम्बर को शास्त्रीय शैली में वादन के कार्यक्रम के साथ होगा।

बैठक में कलेक्टर आशीष सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती कमला कुंवर देवड़ा, उपाध्यक्ष सुश्री शिवानी कुंवर, नगर निगम सभापति श्रीमती कलावती यादव, महर्षि पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति सीजे विजय कुमार मेनन, श्रीपाद जोशी, डॉ.बालकृष्ण शर्मा, वासु केसवानी, वीरेंद्र कावड़िया, विशाल कलम्बकर, सतीश दवे, श्रीमती अर्चना तिवारी, उमेश भट, श्रीमती पलक पटवर्धन, विवेक बंसोड़, प्रकाश कड़ोतिया, सुन्दरलाल मालवीय, हरिहरेश्वर पोद्दार, श्रीकृष्ण जोशी, दीपक शर्मा, विनोद काबरा, योगेन्द्र पिपलोनिया, संजय शर्मा आदि उपस्थित थे। बैठक के अन्त में आभार कालिदास संस्कृत अकादमी के निदेशक अदिति कुमार त्रिपाठी ने प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो.शैलेंद्र कुमार शर्मा ने किया।