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विज्ञान की शोध और विकास योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम छोर तक पहुंचना चाहिए- डॉ आर्य

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भोपाल/ज्ञान-विज्ञान।भोपाल के विज्ञान भवन में वर्तमान परिदृश्य में प्रशिक्षण के नए आयाम विषय को लेकर राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।यह आयोजन मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् भोपाल एवं उच्च शिक्षा उत्कृष्टता संस्थान भोपाल मध्यप्रदेश के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बरकतउल्लाह विश्वविश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आर जे राव उपस्थित रहे।वहीं अध्यक्षता परिषद् के महानिदेशक डाॅ आर के आर्य ने की।विशिष्ट अतिथि के रूप में आइसर आई आई सी ई के सीईओ डाॅ अमजद हुसैन कार्यक्रम में शामिल हुए।कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया गया।तत्पश्चात अतिथियों का स्वागत नवीन परम्परागतनुसार पौधे देकर किया गया।महानिदेशक डाॅ आर के आर्य ने मुख्यअतिथि का स्वागत टिश्यू कल्चर तकनीक से तैयार लौंग तुलसी के संयुक्त गुणों को संजोए पौधे को देकर स्वागत किया।इस प्रकार अन्य विकसित की गई प्रजातियों के पौधे को देकर अतिथियों का स्वागत किया गया।तत्पश्चात एम पी सी एस टी के महानिदेशक द्वारा स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया गया।
प्रोफेसर आर. जे. राव, कुलपति, बरकतउल्लाह विश्वविश्वविद्यालय भोपाल ने मुख्यअतिथि उद्बोधन में कहा कि संस्थानों और प्राध्यापकों को केवल पैसे की ओर ध्यान न देकर विद्यार्थियों के भविष्य की भी चिंता करनी चाहिए।उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि सी बी एस सी बोर्ड द्वारा विश्वविद्यालयों में विज्ञान व अन्य विषयों से जुड़े कई विषय शुरू किए गए।विद्यार्थी अपनी रुचि के अनुसार इसका चुनाव कर सकते है।उन्होंने कहा कि हमारे आस-पास जिस रिसर्च की जरूरत है या जो संसाधन उपलब्ध है,उस पर रिसर्च करना चाहिए।उनका बच्चों के भविष्य के प्रति चिंता जाहिर करते हुए कहा कि वह पतंग की तरह होते हैं,जब हम उन्हें सही दिशा दिखाकर छोड़ेंगे तो वह आसमान छूकर ही लौटेंगे।सभी वविश्वविद्यालयों को एक साथ मिलकर कार्य करने की जरूरत है।हम अपने क्षेत्र में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए,अपने क्षेत्र का विकास कर सकते है।इसलिए विद्यार्थियों को विभिन्न क्षेत्रों में विशेष प्रशिक्षण दिए जाने की जरुरत है।ताकि विद्यार्थियों के पास स्पष्ट टारगेट हो कि क्या करना है।तत्पश्चात कार्यक्रम में शामिल सम्पूर्ण मध्यप्रदेश से प्रोफेसर व विद्यार्थियों का और एम पी सी एस टी के वैज्ञानिक फैकल्टी के प्रति आभार प्रकट किया गया।
कार्यक्रम के दौरान विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल आइसर आई आई सी ई सीईओ डाॅ अमजद हुसैन द्वारा उद्यमिता और विज्ञान विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया गया।व्याख्यान में उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि अमेजन,वालमार्ट जैसी वैश्विक कम्पनी वैज्ञानिक स्किल से ही संभव हुई है।इसमें कैरियर बनाने के लिए आप लिंग्डन व ट्विटर जैसी सोशल साइट्स से जुड़ जानकारी प्राप्त कर सकते है।मुकेश अंबानी,बिलगेट्स,मार्क जकरबर्ग,थाॅमस एल्वा एडीसन,विक्रम साराभाई कुछ ऐसे ही बिजनेसमैन है,जिन्होंने विज्ञान और तकनीकी का प्रयोग कर उद्योग जगत में नाम कमाया है।उन्होंने इसके लिए विद्यार्थियों में खुले विचार वाला,स्मार्टेस्ट,साथ में वाणिज्यिक विचारों का होना अति आवश्यक बताया साथ ही स्वास्थ्य और बायोटेक्नोलॉजी व पर्यावरण और कृषि क्षेत्र को इसके लिए बेहतर विकल्प बताया।तत्पश्चात डाॅ प्रवीन द्वारा मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् भोपाल की रूपरेखा,उद्देश्यों, कार्यों,विभाग व भविष्य के कार्यक्रमों को विस्तार से समझाया गया।
डाॅ आर के गर्ग ने सेन्टर आॅफ एक्सीलेंस इन बायोटेक्नोलॉजी पर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए परिषद् की बायोटेक लैब से तथा उसमें किए जाने वाले कार्यों से रुबरु कराया।डाॅ बसु ने क्वालिटी एसुरेंस लेबोरेटरी पर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए परिषद् में उपस्थित वॉटर टेस्ट जैसी सुविधा से अवगत कराया।
डाॅ एम के राठौर द्वारा मैपिंग ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी फाॅर नीड्स टू एम पी पर अति महत्वपूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत किया गया।जिसमें उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इस बार मध्यप्रदेश युवा वैज्ञानिक कांग्रेस का आयोजन 21 जनवरी 2020 को इंदौर में किया जाएगा।उन्होंने बताया कि परिषद् में रिमोट सेन्सिंग या जी आई एस में 35 वैज्ञानिक कार्यरत है।हमारे द्वारा रिमोट सेन्सिंग का प्रयोग कर प्रदेश की 40 नदियों को रिचार्ज करने और पन्ना बायोस्फीयर रिजर्व में परिवर्तन के अध्ययन का प्लान तैयार किया जा रहा है।उन्होंने जानकारी दी कि मध्यप्रदेश में डायल 100 सेवा का सिस्टम परिषद् के डाॅ संदीप द्वारा डेवेलप किया गया है।वहीं परिषद् के सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डाॅ चौबे द्वारा एम पी सी एस टी के शोध कार्यों और खोजों से भी रुबरु कराया गया।वहीं डाॅ टी एस मूर्ति द्वारा रायसेन जिले के अब्दुल्लागंज का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए प्लांट टिश्यू कल्चर की विस्तृत जानकारी दी गई।उन्होंने किसानहित में जानकरी देते हुए बताया कि यदि गौमूत्र को नीम के साथ मिलाकर फसल में छिड़काव किया जाए,तो फसलों में तुषार या पाला नहीं लगता है।उन्होंने कहा कि विज्ञान फुटबॉल की खेल की तरह है,जब सभी वैज्ञानिक मिलकर इसमें कार्य करते हैं तभी सफलता हासिल होती है।
कार्यशाला के मध्य में विज्ञान भवन में स्थापित आधुनिक तकनीकयुक्त लैब का भ्रमण भी सभी प्रोफेसर और विद्यार्थियों ने कराया गया।इस दौरान उनको लैब में रखे यंत्रों और उनकी कार्यप्रणाली से भी रुबरु कराया गया।इस दौरान सम्पूर्ण मध्यप्रदेश से आए प्रतिभागियों ने बायोटेक लैब में स्पेक्ट्रोफोटोमीटर,डी एन ए सीक्वेंसर,ड्राई एच टू हाई परफार्मेंस क्वांटिटी एनालिसिस सिम्पल, फर्मेंटेशन,ड्राई एनालाईजर,लेमिनर फ्लो,बैक्टीरियल इंन्क्युवेटर,क्रोमोसोम माइक्रोस्कोप,प्रोटीन एनालाईजर आदि को देखा व कार्यप्रणाली समझी, मृदा और पानी टेस्टिंग लैब,रिमोट सेन्सिंग लैब या जी आई एस लैब का भ्रमण कर जाना कि रिमोट सेन्सिंग किन कार्यों और कैसे महत्वपूर्ण शाबित हुई है।इसके अलावा लैब में किए जाने वाले शोध कार्यों की प्रक्रिया को भी समझा।
सेमिनार के दौरान मध्यप्रदेश को विज्ञान के क्षेत्र में एजुकेशन हब बनाने के संदर्भ में अहम निर्णय लिए गए।जिसके तहत् शासकीय महाराजा महाविद्यालय छतरपुर में विद्यार्थियों को आई आई टी बाम्बे से सोलर एनर्जी एक्सपर्ट डाॅ चेतन सिंह सोलंकी द्वारा वर्कशॉप आयोजित कर प्रशिक्षण दिया जाएगा।जिससे इस क्षेत्र में नए रोजगार स्थापित होंगे।इसी प्रकार माधव साइंस काॅलेज उज्जैन में व्यवसाय विकास के केंद्र स्थापित किया जाएगा।
कार्यक्रम में मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् भोपाल के वैज्ञानिक और मध्यप्रदेश के होशंगाबाद,इंदौर,उज्जैन,सीहोर,छतरपुर,ग्वालियर,भोपाल आदि जिलों के विभिन्न संस्थानों से आए प्रोफेसर व विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

*भोपाल से मदन साहू की रिपोर्ट।*