- ज्योतिष

गुरु शनि और केतु की युति आगामी 3 माह में कुछ बड़े परिवर्तन लाएगी

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भविष्य दृष्टि चिंतन
देवगुरु बृहस्पति व न्याय के अधिपति देवता शनि जब भी गोचर में राशि परिवर्तन करते हैं, कुछ न कुछ बड़ा होता है। इस दृष्टि से आने वाले 3 माह में कुछ बड़ा अवश्य होगा क्योंकि 5 नवम्बर को गुरु राशि परिवर्तन कर स्वयं की राशि धनु में प्रवेश कर चुके हैं जहाँ शनि व केतु पहले से ही विद्यमान हैं। शनि 24 जनवरी को राशि परिवर्तन कर स्वराशि मकर में प्रवेश करंगे। अर्थात 5 नवम्बर से 23 जनवरी 2020 तक धनु राशि में गुरु, शनि, केतु की युति रहेगी। इस बीच की अवधि विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण घटनाक्रम होने की प्रबल संभावना है।
गुरु ज्ञान, धन, संतान, भाग्य व धर्म के कारक हैं तो शनि कर्म, सहनशीलता, दान व कानून या न्याय के कारक हैं। अतः दोनों ग्रह की युति से इन्हीं से संबंधित फल अधिक मिलेंगे। इन दोनों के साथ केतु भी स्थित है जो किसी हद तक अध्यात्म का कारक ग्रह माना जाता है। वर्तमान में धन, न्याय व धर्म से संबंधित फल मिलने के प्रबल संकेत ग्रह दे रहे हैं। चूंकि गुरु धर्म का व शनि कानून या न्याय का कारक है अतः गुरु का स्वयं की राशि धनु में प्रवेश के साथ शनि के साथ युति होने से धर्म व न्याय के क्षेत्र से बड़ी खबर मिलने के प्रबल योग हैं। लेकिन मिथुन राशि में स्थित राहु के गुरु, शनि व केतु के साथ दृष्टि सम्बन्ध बनाने से रंग में भंग होने जैसी स्थिति बनने के भी आसार बन रहे हैं। देश में अयोध्या मामले के फैसले के मद्देनजर सरकार, प्रशासन की विशेष सतर्कता के साथ नागरिकों के संयम की भी अत्यंत आवश्यकता है।
गोचर में जब भी गुरु व शनि की युति किसी भी राशि में होती है तो वह किसी न किसी प्राकृतिक आपदा का कारण बनती है। अतः कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा देश-दुनिया में इस अवधि में होने की संभावना बन रही है। सभी ग्रह 11 नवम्बर से 13 दिसम्बर तक शनि-गुरु-केतु के आसपास गोचर कर रहे हैं। यह स्थिति भी भूकंप आदि प्राकृतिक आपदा की ओर इशारा कर रही है।
25, 26 व 27 दिसम्बर को एक विशेष ग्रह स्थिति गोचर में बन रही है जब 6 ग्रह एक ही राशि में एकत्र हो रहे हैं। इन तीन दिनों में सूर्य, चन्द्र, गुरु, शनि केतु व बुध धनु राशि में एकत्र हो रहे हैं जो बड़ी प्राकृतिक आपदा अर्थात भूकम्प, तूफान, अतिवृष्टि व सुनामी आदि के प्रबल संकेत दे रहे हैं। ज्वालामुखी भी इस अवधि में सक्रिय हो सकते हैं। 26 दिसम्बर, पौष अमावस्या, गुरुवार को वलयाकार सूर्यग्रहण भी होने जा रहा है। यह समूचेे एशिया व इंडोनेशिया के साथ भारत में भी दिखाई देगा।
इस सूर्यग्रहण के ठीक 15 दिन बाद 10 जनवरी 2020, पौष पूर्णिमा, शुक्रवार को उपछाया चन्द्रग्रहण होगा। यह भी अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, व यूरोप के साथ भारत में दृश्य होगा। दोनों प्रकार के ग्रहण जहाँ दिखाई देते हैं वहाँ अपना विशेष प्रभाव दिखाते हैं। अतः भारत में भी इनके प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। अब तक के वैज्ञानिक शोध के मुताबिक अधिकांश भूकम्प अमावस्या, पूर्णिमा अथवा इन तिथियों के दो दिन पहले या बाद कि अवधि में ही आए हैं।
इसके अतिरिक्त एक ही राशि में चार या इससे अधिक ग्रहों के एकत्र होने की स्थिति में कई बार युद्ध की स्थिति भी बनती है। नवम्बर-दिसम्बर-जनवरी माह में ऐसी स्थिति कई बार बन रही है। 29 नवम्बर को सभी ग्रहों का एक ही कोण में होना भी युद्ध की स्थिति दर्शा रहा है। इस दृष्टि से भारत के संदर्भ में पड़ोसी देश पाकिस्तान व चीन के साथ भी युद्ध या बड़ी झड़प होने के प्रबल आसार हैं।
21 नवम्बर को शुक्र भी धनु राशि में प्रवेश कर शनि, गुरु व केतु के साथ चतुर्ग्रही योग बनाएगा। व्यापार-व्यवसाय के क्षेत्र में इसका विशेष प्रभाव देखने को मिलेगा। चूंकि गुरु धन या अर्थ के कारक होते हैं और शनि संकट या आपदा के कारक होते हैं अतः शुक्र के साथ दोनों ग्रहों की युति आर्थिक संकट की तरफ इशारा कर रही है।
कुल मिलाकर नवम्बर, दिसम्बर व जनवरी माह जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण घटनाओं व परिवर्तन के साक्षी रहेंगे।
-योगेन्द्र माथुर,
लेखक, पत्रकार व चिंतक