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ज्योतिष विश्लेषण- सिंह का मंगल कराएगा दंगल

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07 जून से 28 जुलाई तक होने वाले खगोलीय ग्रह गोचर के कारण दुनिया में बड़ी उथल-पुथल देखने को मिलेगी। अप्रत्याशित घटनाक्रम चौंकाने वाले होंगे। जीवन का प्रत्येक पक्ष इन ग्रह योगों से प्रभावित होगा जो दुनिया के लिए के लिए परेशानी बढ़ाने और सबक सिखाने वाला होगा।
कालपुरुष की कुंडली में 07 जून को मंगल का महत्वपूर्ण राशि परिवर्तन हो रहा है। सेना, पुलिस, युद्ध, पराक्रम, साहस, हिंसा, दुर्घटना, रक्त के कारक ग्रह पृथ्वीपुत्र मंगल 7 माह से अधिक समय तक मिथुन व अपनी नीच राशि कर्क में गोचर करने के बाद ग्रहों के राजा सूर्य की राशि सिंह में प्रवेश करेंगे। इसी के साथ दुनिया में दंगल व अमंगल के हालत बन जाएंगे क्योंकि मंगल यहां पूर्व से स्थित केतु के साथ युति करेंगे और अंगारक योग जैसी स्थिति निर्मित करेंगे। मंगल यहां 28 जुलाई तक रहेंगे। सिंह राशि में मंगल की युति पूरे 36 वर्ष बाद हो रही है। पूर्व में यह युति 1989 में हुई थी और उस समय हमें इसके बड़े प्रभाव देखने को मिले थे। सिंह राशि में बैठे मंगल यहां से अपनी सातवीं दृष्टि से कुंभ राशि में स्थित राहु को देखेंगे। यह भी अंगारक दोष की ही स्थिति है।
मंगल के सिंह राशि में प्रवेश से वातावरण में गर्मी बढ़ती नजर आएगी क्योंकि मंगल और सूर्य दोनों अग्नि तत्व की राशियों के स्वामी हैं। लोगों को अपने दिमाग में तनाव व शरीर में भी गर्मी बढ़ती अनुभव होगी। अग्नि का विकराल रूप व इससे संबंधित दुर्घटनाएं अधिक देखने को मिलेंगी। दुनिया में युद्ध व झगड़े-फसाद का वातावरण बनेगा। नए युद्ध शुरू होते दिखाई देंगे और जो युद्ध अभी जारी हैं वे खतरनाक व भीषण रूप लेंगे। भारत को उत्तर-पूर्व की दिशा में अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। आतंकवादी घटनाएं दुनिया भर में बढ़ती दिखेगी।
मंगल की सिंह राशि में केतु के साथ युति होने से लोग बिना सोचे-समझे कदम उठाएंगे या कार्य करेंगे जो नुकसानदेह होंगे क्योंकि केतु का सिर नहीं है। स्वाभाविक है अच्छा-बुरा सोचने-समझने के लिए दिमाग व बुद्धि यहां नहीं है। सिंह राशि का मंगल इंसान के क्रोध को बढ़ाने वाला होगा। इस युति से लोगों में दुस्साहस की प्रवृति भी बढ़ेगी।
मंगल सिंह राशि में बैठकर मीन राशि में स्थित शनि के साथ षडाष्टक योग बनाएंगे जिसे ज्योतिष में अच्छा नहीं माना जाता। मंगल शनि को अपनी आठवीं दृष्टि से भी देखेगा जिससे शनि भी अपना बुरा प्रभाव दिखाएगा। शनि न्याय, राजनीति, अर्थ, जमीन, तकनीकी, विज्ञान, दवाई, बीमारी, वायु विकार जैसे क्षेत्रों का कारक ग्रह है। अतः इनसे जुड़े फल दृष्टिगोचर होंगे। न्यायपालिका या उसके किसी निर्णय को लेकर असंतोष व विवाद होने की प्रबल संभावना है।
विज्ञान के क्षेत्र में सैटेलाइट शनि के अधिकार में आते हैं। अतः इससे जुड़ी बड़ी खबर सामने आ सकती है। अंतरिक्ष से जुड़ी कोई खबर भी हमें मिल सकती है। विमान दुर्घटनाएं भी देखने को मिल सकती है। किसी बीमारी का प्रकोप बढ़ने या किसी बीमारी का इलाज मिलने जैसी खबर भी आ सकती है। रक्त व वायु से जुड़ी बीमारी के सामने आने या इनका इलाज ढूंढे जाने की अधिक संभावना है। जमीन को लेकर संघर्ष बढ़ने की प्रबल संभावना है। परिवार के सदस्यों में, भागीदार व साझीदार के बीच परस्पर और पड़ोसियों से किसी जमीन के स्वामित्व अथवा कब्जे को लेकर संघर्ष अधिक होते दिखेंगे। दो या अधिक देशों के बीच युद्ध होना इसमें शामिल है। मंगल ऊर्जा का कारक है और मंगल व शनि का भूमि से संबंध है। अतः बड़े भूकंप, भूस्खलन या ज्वालामुखी भड़कने की प्रबल संभावना है।
राजनीति के क्षेत्र में समूची दुनिया में बड़ी उथल-पुथल होती दिखेगी। मंगल सिंह राशि में स्थित है जो ग्रहों के राजा सूर्य की राशि है। राजा व शासक का विचार यहां से होता है। शनि दसवें भाव की मकर राशि के स्वामी हैं। राजा व राजनीति का विचार दसवें भाव से भी होता है। अतः सिंह राशि के मंगल व शनि के संबंध के चलते राजा या शासकों के प्रभावित होने के प्रबल योग हैं। राहु मंगल का परस्पर दृष्टि संबंध बन रहा है। राहु छल व अफवाह का कारक माना जाता है। राहु से राजनीतिक स्थिति का भी आकलन किया जाता है। राजनीतिक के क्षेत्र में बड़े छल या धोखे होने की संभावना है। अफवाह या नैरेटिव से माहौल बिगड़ सकता है। देश दुनिया में बड़े शासकों व नेताओं को अपनी सुरक्षा व सेहत के लिए अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।
वाणी के कारक ग्रह बुध 22 जून से वक्री हो रहे हैं। दूसरी ओर पांचवें भाव से भी वाणी की स्थिति पता चलती है। अतः यहां बन रही युति व बुध के वक्री होने से वाणी का प्रभावित होना दिखता है। किसी नेता या धर्म गुरु अथवा अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति के बिगड़े बोल से भी वातावरण बिगड़ सकता है।
इस गोचर के बीच एक बात और महत्वपूर्ण है। वह यह कि देवगुरु बृहस्पति पूर्व में ही वृषभ राशि से मिथुन राशि में प्रवेश कर अतिचारी हो चुके हैं। गुरु का अतिचारी होना भी दुनिया के लिए शुभ नहीं माना जा रहा। गुरु धर्म के कारक हैं। शनि गुरु की राशि मीन में स्थित होकर मंगल से प्रभावित हैं। शनि को भी काफी हद तक धर्म से ही जोड़ा जाता है। केतु को आध्यात्म से जोड़ा जाता है। अतः धर्म व आध्यात्म के क्षेत्र में कुछ बड़ा होता दिखेगा। धार्मिक उन्माद बढ़ने की प्रबल संभावना है। स्टॉक मार्केट के उतार-चढ़ाव का आकलन शनि व गुरु की स्थिति से किया जाता है। अतः यहां मिश्रित फल दृष्टिगोचर होंगे। यहां मीन राशि सर्वाधिक प्रभावित है जो जल तत्व की राशि है अतः जल से जुड़े दुष्परिणाम सामने आएंगे। कहीं पर अतिवृष्टि और कहीं अनावृष्टि से हालत बिगड़ते दिखेंगे। आंधी, तूफान, चक्रवात व्यापक रूप से देखने को मिलेंगे।
भारत के संदर्भ में देखें तो स्वतंत्र भारत की कुंडली वृषभ लग्न की है। अतः भारत की कुंडली में मंगल चतुर्थ भाव में और राहु दसवें भाव में है। राहु से राजनीति का विचार भी होता है। चतुर्थ भाव से घर व प्रजा की स्थिति का आकलन होता है। दसवें भाव से राजा या शासक का आकलन होता है। अतः समझा जा सकता है कि मंगल राहु के दृष्टि संबंध से शासक व प्रजा के बीच संबंध सामान्य नहीं रहेंगे। दसवां भाव जन आंदोलन का भी होता है। अतः शासक या सरकार के प्रति किसी बात को लेकर जन आंदोलन के योग भी बन सकते हैं।
ग्रहों की इस गोचर स्थिति में 07 जून से 28 जुलाई तक सभी को अतिरिक्त सावधानी रख कर अपने कार्य करना होंगे। भगवान हनुमान व भगवान गणेश की आराधना, पूजा-अर्चना के साथ हनुमान चालीसा, सुंदरकांड का पाठ इस समय अत्यंत लाभकारी होगा। सूर्य को जल अर्पण व उनके मंत्रों का जाप और गायत्री मंत्र का जाप भी बहुत लाभकारी होगा। गौमाता की सेवा भी लाभकारी होगी। पानी पीने में कोताही नहीं बरतें। महिलाएं मांग में अन्य रंगों वाले केमिकल की जगह सिंदूर ही लगाएं तो उनके और उनके पति के लिए अत्यंत लाभकारी होगा। जिन लोगों की जन्मकुंडली में अंगारक योग बन रहा है, वे इस अवधि में चोट चपेट, वाहन चलाने को लेकर अधिक सजग रहें। लड़ाई झगड़ों से दूर रहने की कोशिश करें। अपने ज्योतिषी से परामर्श कर उज्जैन में मंगलनाथ या अंगारेश्वर मंदिर में मंगल शांति के लिए पूजन करा सकते हैं। सड़कों पर घूमने वाले कुत्तों को कुछ खाने को डालना चाहिए। यह सभी लोग कर सकते हैं।
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।। -योगेंद्र माथुर
धर्म व ज्योतिष के अध्येता