उज्जैन/ साध्वी रितंभरा देवी के गुरु युग पुरुष परमानंद जी महाराज के द्वारा एक कथा के दौरान संत समाज की तुलना कुत्ते से करने पर देशभर के संतों में आक्रोश फैल गया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष गंगा दशमी के पावन अवसर पर उज्जैन की धरा पर मौजूद थे जहां उनसे इस मसले को लेकर पत्रकारों ने सवाल किया तो आपने कहा कि वह वरिष्ठ है इसलिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है अगली बार अगर ऐसा होता है तो निश्चित अखाड़ा परिषद कार्रवाई करेगा।
ऋषिकेश में आयोजित एक धर्म सभा को संबोधित करते हुए कथा का विवरण सुनते हुए संत समाज को कुत्ते के समान बताने पर वहां मौजूद सन्तो उसे समय तो खूब ठहाके लगे लेकिन जब यह मामला अखाड़ा परिषद के सदस्यों के बीच पहुंचा तो देखते ही देखते संत समाज में आक्रोश की लहर फैल गई और युगपुरुष परमानंद जी महाराज के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग उठी। संत समाज की ओर से अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष अरविंद पुरी जी महाराज और महामंत्री हरि गिरि जी महाराज से चर्चा कर इस मामले को लेकर कार्रवाई की मांग होने पर रविंद्र पुरी की महाराज और हरी गिरी जी महाराज ने युगपुरुष परमानंद जी महाराज के व्यक्तित्व पर कहा कि वह वरिष्ठ है और उनके द्वारा इस टाइप की बयान बाजी कथा के दौरान पहली बार की गई है। इसलिए अभी कार्रवाई करना उचित नहीं होगा लेकिन भविष्य में परमानंद जी महाराज के द्वारा इस तरह की गलती दोबारा की गई तो निश्चित रूप से उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
रविंद्र पुरी जी महाराज से जब उज्जैन में यह सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ऋतुंबरा दीदी के गुरु युग पुरुष परमानंद जी महाराज वयोवृद्ध संत है। और उनके द्वारा पहली बार ऐसी कोई कथा सुनाई गई है जिससे संत समाज विरोध में खड़ा हो गया है। हमेशा संतो को अपने सानिध्य में रखकर धर्म की गादी से धर्म का प्रचार करने वाले युग पुरुष परमानंद जी ने जो कहा है कि उन्हें पैसे से कोई मोह माया नहीं है उसमें कोई गलत बात नहीं है लेकिन संत समाज को कुत्तों के समान बताना कहीं ना कहीं उनके बयान से कड़वाहट पैदा करता है।
पुरी जी महाराज ने कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने आक्रोशित संत समाज को इस मामले में शांत कर दिया है और उन्हें यह आश्वासन भी दिया है कि भविष्य में ऐसी कोई गलती दोबारा होती है तो निश्चित रूप से अखाड़ा परिषद संत समाज के हित में संतों की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई करेगा