पीथमपुर/ पीथमपुर सफाई कर्मचारियों के नेता राजेश खरे ने आरोप लगाते हुए बताया की नगर पालिका पीथमपुर में भ्रष्टाचार और अनियमितता की कोई हद नहीं । जिसका उदाहरण खुद नगर पालिका सीएमओ गजेंद्र सिंह बघेल के आदेश क्रमांक 3464 दिनांक 22 8 2019 से पता चलता है क्योंकि दिनांक 02/9/19 से सफाई कर्मचारियों का आंदोलन जिन कारणों से चल रहा है ,उसमें से एक कारण स्वच्छता निरीक्षकों की भर्ती का है। जिसमें सीएमओ ने भर्ती नियम को अनदेखा कर भर्ती नियम का पालन किए बगैर ,मनमाने तरीके से स्वच्छता निरीक्षकों की भर्ती कर ली गई थी और फिर अपने ही आदेश क्रमांक 3464 दिनांक 22/ 8/ 2019 में स्वच्छता निरीक्षक की भर्ती रद्द कर उन्होंने हटा दिया। लेकिन सवाल यह है कि फिर से सभी स्वच्छता निरीक्षक किन कारणों से अभी तक कार्य कर रहे हैं ।सूत्रों की मानें तो उन्हें वापस ठेके में रख लिया गया है। यदि उन्हें ठेके में रख लिया गया है ,तो वह शासन के किस नियम के अंतर्गत ,शासकीय कर्मचारी जो कि नगर पालिका पीथमपुर में परमानेंट है। और मस्टर पर है, उन्हें आदेश कर रहे हैं ।और उनका सत्यापन कर रहे हैं, एक प्राइवेट कर्मचारी शासकीय कर्मचारी को कैसे आदेशित कर सकता, और कैसे उसका सत्यापन कर सकता है, यह तो समझ से परे है ।हमें तो यह लगता है कि सफाईकर्मचारियों पर अत्याचार और शोषण करने की दृष्टि से ही छह स्वच्छता निरीक्षकों को रखा गया ।क्योंकि उन्हें कार्य से बंद करने के बाद भी , अभी तक कार्यमुक्त नहीं किया गया है । उनसे कार्य लिया जा रहा है , उस समय तत्कालीन मुख्य स्वच्छता निरीक्षक शीतल सिंह तोमर के मार्गदर्शन में ही सभी छह स्वच्छता निरीक्षक जिन्हें हटा दिया गया ,उनके मार्गदर्शन में कार्य करते रहें थे और उनके द्वारा सफाई कर्मचारियों से बंधुआ मजदूर की तरह कार्य लेना यह सफाई कर्मचारियों पर अन्याय अत्याचार और शोषण की श्रेणी में आता ।साथ ही यह एट्रोसिटी एक्ट का भी उल्लंघन लगता है। जिससे एट्रोसिटी एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई की जा इसलिए जल्दी ही सफाई कर्मचारियों का 05 से 11 सदस्यों का प्रतिनिधि मंडल माननीय जिलाधीश कलेक्टर महोदय जिला धार से भेंट करेगा। और उन्हें उक्त मामले से अवगत कराएगा। इस विषय में एट्रोसिटी एक्ट के उल्लंघन के बारे में जानकारी देगा क्योंकि उस समय तत्कालीन मुख्य स्वच्छता निरीक्षक श्री शीतल सिंह तोमर द्वारा कार्य लेना जबकि उन्हें पिछले माह की तारीख 22 /8 / 2019 को आदेश क्रमांक 3464 से हटा दिया गया । तो अभी तक यूनियन को इसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई ।साथ ही प्रेस को क्यों नहीं बताया गया ,और क्यों नहीं आदेश की कॉपी नगरपालिका के नोटिस बोर्ड पर चस्पा की । हमें तो यह लगता है कि इसमें भारी भ्रष्टाचार हुआ है जिस कारण सीएमओ गजेंद्र सिंह बघेल उन छ: स्वछ्ता निरीक्षकों को छोड़ नहीं पा रहे हैं ।किसी ना किसी तरह से उन्हें नगरपालिका में बनाए रखना चाहते हैं। और उन्हे लाभ देना चाहते हैं इसमें भारी लेनदेन की शंका प्रतीत होती है इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग माननीय जिलाधीश महोदय कलेक्टर जिला धार से हमारे प्रतिनिधि मिलकर करेंगे।
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