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तराना जनपद पंचायत में हुआ भोजन पैकेट में लाखों का घोटाला

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जिम्मेदार अधिकारी कर रहे हैं मामले में लीपापोती, शिकायत पर नहीं हुई सुनवाई

राजकुमार अग्रवाल द्वारा

उज्जैन/ जिले की तराना जनपद पंचायत में वरिष्ठ अधिकारियों की करगुजारियों के चलते भ्रष्टाचार की गंगा बहते हुए देखा जा सकता है। अधिकारी और लेखपाल की मिली भगत से जनपद पंचायत में घोटाले पर घोटाले प्रकाश में आ रहे हैं। तराना जनपद पंचायत के घोटाले की छानबीन करने के लिए दैनिक संयुक्त लहर और स्टेट वार्ता की टीम यहां पहुंची तो देखा कि अधिकारियों के भ्रष्ट रवैये पर पर निगाह पेनी की जाए तो कई चौकाने वाले आर्थिक घोटाले सामने आ सकते हैं। अपनी करगुजारियों पर पर्दा डालने के लिए कुछ दिनों पहले लेखपाल कक्ष को बदल दिया गया इसके पीछे घोटाले बाज अधिकारियों का सीसीटीवी कैमरे से अपने भ्रष्टाचार की गतिविधियों को छुपाई जाने की बात सामने आई है।
जिले की तराना जनपद पंचायत इन दिनों सुर्खियों में बनी हुई है इसके पीछे जो वजह सामने आई है वह काफी चौंकाने वाली है। भ्रष्ट लेखपाल द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों मिली भगत कर जनपद पंचायत में कई तरह के आर्थिक घोटाले कर शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाया जा रहा है। ऐसा नहीं की इनके घोटाले की शिकायत जिले में बैठे अधिकारियों तक नहीं पहुंची शिकायतें निरंतर अधिकारियों तक पहुंच रही है लेकिन वरिष्ठ अधिकारी घुटना पेट की तरफ ही झुकता है वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए अधिकारी पर मेहरबानी दिखाए हुए हैं और किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने से परहेज कर रहे हैं यही वजह है कि जनपद पंचायत में कर्मचारी खुले आम सरकारी दस्तावेजों में हेरफर कर आर्थिक घोटाले कर रहे।

वर्ष 22 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के नाम पर किया भोजन घोटाला

तराना जनपद पंचायत के द्वारा वर्ष 2022 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कार्यक्रम में 40 भोजन के पैकेट और पानी का बिल 276000 मध्य प्रदेश शासन से लिया गया है जिसकी जानकारी जनपद पंचायत के पोर्टल पर भी घोटालेबाज अधिकारियों के द्वारा चढ़ाई गई है। सूत्र बताते हैं कि जब इस मामले में शिकायत की आवाज बुलंद हुई तो भ्रष्ट अधिकारियों ने पहले तो इस शिकायत को नष्ट करवाने के लिए कई लोगों से मेलजोल किया लेकिन शिकायतकर्ता के द्वारा शिकायत वापस नहीं लिए जाने पर इनके द्वारा भोजन पैकेट सप्लायर से 40 पैकेट के स्थान पर अधिक संख्या के पैकेट का बिल लिया गया है जबकि पोर्टल पर क्रमांक 329 और वाउचर और बिल क्रमांक 109 के माध्यम से 40 पैकेट भोजन सप्लाई की एंट्री की गई है। इसी तरह और भी कई आर्थिक घोटाले भ्रष्ट अधिकारियों के द्वारा किए गए हैं जिनका खुलासा छानबीन के बाद आगे किया जाएगा।

लेखपाल का कक्ष बदला

जब महिला अधिकारी और उनके लेखपाल की नाम जद शिकायते उज्जैन संभाग और जिले के अधिकारियों तक पहुंची तो अपने आप को बचाए रखने के लिए लेखपाल के कक्ष को अन्य कक्ष में स्थानांतरित किया गया इसके पीछे जो वजह आई सामने वह यह की लेखपाल के पहले वाले कमरे में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे जिससे उनके क्रियाकलाप जग जाहिर हो रहे थे भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए लेखपाल के कक्ष को बदल गया है।

संभाग और जिले के अधिकारियों की चुप्पी समझ से परे

इस मामले को लेकर शिकायतकर्ता के द्वारा उज्जैन के पूर्व जिला कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम पूर्व कमिश्नर संदीप यादव सहित आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को भी लिखित में उपलब्ध साक्ष के माध्यम से की गई है किंतु अभी तक किसी भी जिम्मेदार अधिकारी की ओर से इस मामले में कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए हैं।

सूचना के अधिकार को भी घोलकर पी गए

बताते हैं कि शिकायतकर्ता के द्वारा जनपद पंचायत के पोर्टल पर जब इन गड़बड़ियों की धर पकड़ की गई और इस मामले की तरह में जाने के लिए दस्तावेज प्राप्त करने हेतु सूचना के अधिकार का इस्तेमाल किया गया तो चाही गई जानकारी के 27155 पेज बात कर जानकारी लेने वाले आवेदक से ₹2 कॉपी के हिसाब से करीब 55000 की राशि जमा करने को कहा गया। तब तक शिकायतकर्ता के द्वारा प्रथम अपील जनपद पंचायत की प्रथम अपील सुनवाई करने वाले अधिकारी के समक्ष नियमानुसार आवेदन प्रस्तुत किया गया जिस पर दस्तावेज अवलोकन करने की मांग की गई थी इस मामले में भी अधिकारियों के द्वारा शिकायतकर्ता को भ्रमित किया जा रहा है और भ्रष्टाचार के इस मामले में लीपापोती करने से कोई परहेज नहीं किया जा रहा है।
वरिष्ठ अधिकारियों को चाहिए कि तराना जनपद पंचायत में हो रहे आर्थिक घोटालों की जांच की जाकर दोषी पाए जाने वाले अधिकारी कर्मचारी के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं और मामला आर्थिक घोटाले का होने से वसूली की जाए